kol kandoli mata mandir || raj bhagat || jammu J&k
Автор: Trident Film Productions
Загружено: 2025-08-15
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कोल कोन्डली माता मंदिर – इतिहास व पौराणिकता
स्थान व महत्व
यह मंदिर जम्मू शहर से लगभग 14 किमी दूर नगरोटा गाँव (पूर्व में नागराज) में पहाड़ी की ढलान पर स्थित है। इसे वैष्णो देवी यात्रा की शुरुआत या पहला दर्शन माना जाता है
यह "माता वैष्णो का पहला दर्शन – कोल कोन्डली" के नाम से भी प्रसिद्ध है
नाम की व्युत्पत्ति
'कोल' का अर्थ है कटोरा (चाँदी का प्याला) और 'कोन्डली' से तात्पर्य गेंद (marbles) से है। मान्यता है कि माता ने स्थानीय कन्याओं के साथ गेंद-कोल (मेरबल) खेली थी
एक किंवदंती अनुसार, जब माता ने चाँदी का कटोरा हिलाया, तो भूमिगत जल फूट पड़ा, जिससे पवित्र कुआँ बना जिसे आज भी 'माता का कुआँ' कहा जाता है
पौराणिक कथा
माना जाता है कि द्वापर युग में माता वैष्णो देवी पाँच वर्ष की कन्या रूप में यहां प्रकट हुईं और लगभग 12 वर्ष तक तपस्या की
फिर माता ने पिण्डी स्वरूप में स्वयं को प्रकट किया, जो आज मंदिर में पूजी जाती है
इसी स्थान पर तपस्या के दौरान उन्होंने विश्व शांति हेतु हवन-यज्ञ और भंडारे भी किए थे, तथा चाँदी के कटोरे से 36 प्रकार का भोजन देवताओं को प्रदान किया था
पाडवों द्वारा निर्मित मंदिर
मान्यता है कि पांडवों ने एक ही रात्रि में, करीब छह माह की मेहनत से, इस मंदिर का निर्माण किया था
इसी पवित्रता के कारण यह मंदिर माता वैष्णो देवी की यात्रा की प्रारंभिक स्थली और आध्यात्मिक द्वार माना जाता है
मंदिर परिसर में अन्य पवित्र स्थान
गर्भगृह के पास गण्डेश्वरी ज्योतिर्लिंग का मंदिर भी है, जो शिव एवं शक्ति के एकत्व का प्रतीक है—"जहां शिव हैं वहां शक्ति, और शक्ति के बिना शिव अधूरे हैं"
उसी पास माता का कुआँ है, जिसका जल पीने से मानसिक शांति मिलती है और इसका छिड़काव करने से शरीर भी शुद्ध होता है
स्थान नगरोटा, जम्मू (जम्मू से लगभग 14 किमी)
विशेषता माता वैष्णो देवी का पहला दर्शन स्थल, पिंडी रूप
कथा माता ने 5 वर्ष की अवस्था में 12 वर्ष तपस्या की, स्व-निर्मित पिंडी, पांडवों ने रात्रिकाल में मंदिर बनाया
पवित्र स्थल गण्डेश्वरी ज्योतिर्लिंग एवं माता का कुआँ
धार्मिक महत्व यात्रा प्रारंभ का स्थान, आत्म-शुद्धि और शांति का केंद्र
इस प्रकार, कोल कोन्डली माता मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि एक समृद्ध पौराणिक और आध्यात्मिक धरोहर है, जो माता वैष्णो देवी की यात्रा और भक्तों के मन में गहन श्रद्धा का प्रतीक बन चुका है।
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