सिद्ध संत तालाब का गंदा पानी पीने को मजबूर
Автор: Chitrakoot Life
Загружено: 2025-10-05
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सिद्ध संत की तपस्या –अमर कहानी”
तालाब के किनारे एक छोटी-सी कुटिया में सिद्ध संत महाराज जी अपना जीवन बिताते हैं। न कोई सुख-सुविधा, न आराम — बस भगवान भोलेनाथ की भक्ति और साधना में लीन।
महाराज जी भोलेनाथ के मंदिर के समीप रहते हैं। दिन-रात जप, ध्यान और भोग-प्रसाद की तैयारी में लगे रहते हैं। भक्त जब दर्शन के लिए आते हैं, तो खुले आकाश के नीचे, मिट्टी के चूल्हे पर बने भोजन से उनका स्वागत करते हैं। उनके हाथों का प्रसाद सच्ची श्रद्धा का प्रतीक होता है।
लेकिन जिस तालाब के पास महाराज जी की कुटिया है, उसका पानी अब गंदा हो चुका है। मजबूरी में वही पानी पीकर वे जीवन चला रहे हैं। भक्तों को भोजन कराते समय खुद वही पानी उपयोग करते हैं — और इसी कारण उनकी सेहत भी बिगड़ने लगी है।
फिर भी, वे कहते हैं —
🕉️ “अगर इस तन की सेवा से भक्तों को अन्न और भगवान को भोग मिल जाए, तो यह शरीर क्या चीज़ है — यह भी भगवान की भेंट है।”
उनकी यह तपस्या और त्याग देखकर हर कोई भावुक हो उठता है। न कोई शिकायत, न कोई अपेक्षा — सिर्फ सेवा, भक्ति और त्याग का संदेश।
आज की दुनिया में जहाँ लोग आराम और सुविधा के पीछे भागते हैं, वहीं सिद्ध संत महाराज जी जैसे विरले तपस्वी हमें यह याद दिलाते हैं कि सच्ची भक्ति त्याग और सेवा से ही पूर्ण होती है।
🙏 जय भोलेनाथ! जय सिद्ध संत महाराज जी! 🙏
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