UP के इस फर्जी IAS की हरकतें जानकर दंग रह जाएंगे आप। Saurabh Tripathi।Fake IAS। Lucknow। Crime News
Автор: NewspathBharat
Загружено: 2025-10-23
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UP के इस फर्जी IAS की हरकतें जानकर दंग रह जाएंगे आप। Saurabh Tripathi।Fake IAS। Lucknow। Crime News
UP का नटवरलाल
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ...एक इवेंट के चीफ गेस्ट की एंट्री होने वाली थी...शानदार मर्सिडीज़ कार आकर रूकी...गाड़ी के आगे पीछे वर्दी वाले और सूट-बूट में बाहर आए साहब...और ये बतौर चीफ गेस्ट साहब की कोई पहली एंट्री नहीं थी...साहब सालों से ऐसी ही एंट्री के आदी हो चुके थे....नाम सौरभ त्रिपाठी....ias...फर्जी ias
जी भाई साहब...साहब नकली हैं...लेकिन असली कबनकर सरकारी तंत्र को चमका दिए जा रहे थे...कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं ....हर किरदार अपने रोल में परफेक्ट था, लेकिन सबकुछ फर्जी था।
ये जो शख्स दिख रहा है इसका नाम है सौरभ त्रिपाठी... मूल रूप से मऊ जिले का रहने वाला है। पिता रिटायर्ड डॉक्टर हैं, पत्नी इंजीनियर है, और खुद सौरभ ने दो बार UPSC की परीक्षा दी थी,लेकिन सफल नहीं हुआ। इसके बावजूद उसने खुद को IAS अधिकारी बताकर एक ऐसा जाल बुना जिसमें कई लोग फंसते चले गए।
कैसे बना फर्जी IAS अधिकारी
सौरभ ने खुद को IAS बताने के लिए सरकारी वेबसाइटों, सोशल मीडिया और फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया। उसने खुद को IAS अधिकारी के रूप में पेश करने के लिए NIC की फर्जी मेल आईडी, सरकारी पोर्टल्स पर नकली प्रोफाइल और सोशल मीडिया पर @Saurabh_IAAS जैसे हैंडल का इस्तेमाल किया। उसने खुद को कई सरकारी बैठकों में शामिल दिखाया, और लोगों को यह यकीन दिलाया कि वह एक प्रभावशाली अधिकारी है। यही नहीं, उसने सरकारी सिस्टम से जुड़े लोगों को भी अपने जाल में फंसा लिया।
सौरभ की ठगी में उसका परिवार भी कहीं न कहीं शामिल रहा। उसकी पत्नी और पिता ने भी उसकी पहचान को लेकर सवाल नहीं उठाए, और कई बार साथ खड़े दिखाई दिए। हालांकि ये साफ नहीं है कि वे जानबूझकर शामिल थे या खुद भी धोखे में थे।सौरभ ने सोशल मीडिया पर खुद को IAS अधिकारी के रूप में पेश किया। उसने सरकारी बैठकों की तस्वीरें, फर्जी नियुक्ति पत्र और अधिकारियों के साथ अपनी तस्वीरें पोस्ट कीं। इससे उसका रुतबा बढ़ता गया और लोग उसकी बातों पर यकीन करने लगे।
कैसे हुआ खुलासा?
लखनऊ पुलिस को जब इस फर्जीवाड़े की भनक लगी, तो जांच शुरू हुई। जांच में पता चला कि सौरभ ने कई सरकारी विभागों और अधिकारियों को भी गुमराह किया है। उसके पास से फर्जी दस्तावेज, नकली ID कार्ड और कई ऐसे सबूत मिले जो उसकी ठगी को साबित करते हैं। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है और अब उसके खिलाफ गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया है।
लखनऊ में पकड़े गए फ़र्जी आईएएस अधिकारी सौरभ त्रिपाठी के मामले में एक और मुक़दमा दर्ज किया गया . कनिष्क सिंह नाम के व्यक्ति ने लखनऊ के सुशांत गोल्फ सिटी थाने में मुक़दमा दर्ज कराया था. लखनऊ पुलिस ने बुधवार गाड़ियों की चेकिंग के दौरान संदेह के आधार पर जब पूछताछ की तो सौरभ त्रिपाठी नाम के फ़र्ज़ी आईएएस का ख़ुलासा हुआ था. आरोप है कि अपने अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स में अलग-अलग आईएएस के पदों का ज़िक्र कर आरोपी सौरभ त्रिपाठी सरकारी व्यवस्था का दुरुपयोग कर पैसे कमा रहा था.
लखनऊ के वजीरगंज थाने में सौरभ त्रिपाठी के ख़िलाफ़ एक मामला पहले से दर्ज है. अब कनिष्क सिंह नाम के व्यक्ति ने एक और मामला दर्ज करा दिया... कनिष्क सिंह नाम के शिकायतकर्ता ने लखनऊ पुलिस को सौरभ त्रिपाठी के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से कई तस्वीरें और वीडियो निकालकर प्रमाण के तौर पर दिए हैं.
सौरभ त्रिपाठी के ख़िलाफ़ दर्ज हुई इस नई एफआईआर में दावा है कि लिंक्ड-इन और फेसबुक पर इस नटवरलाल ने ख़ुद को केंद्र सरकार के कैबिनेट सेक्रेट्रिएट में डायरेक्टर बताया था.... सौरभ के पास से मर्सिडीज, डिफेंडर, फार्च्यूनर समेत कुल छह गाड़ियां बरामद हुई हैं। जांच में पता चला कि डिफेंडर कार बिहार की है और मर्सिडीज कार दिल्ली की है, जबकि शेष बची कारें लखनऊ के डीलर की हैं।
सभी कार मालिकों से विवेचकों ने संपर्क किया, जिन्होंने बताया कि लगभग एक वर्ष पहले उनकी सौरभ से मुलाकात हुई थी। सौरभ ने खुद को आइएएस बताया और कहा कि विभागों में अधिकारियों के लिए महंगी गाड़ियां लगनी हैं, जिससे अच्छा पैसा मिलेगा।
उसने अपने गनर और पीएस दिखाकर विश्वास दिलाया, जिसके बाद सभी ने अपनी गाड़ियां उसे दे दीं। इसके बदले उसने कुछ लोगों को डेढ़ लाख और कुछ को दो लाख रुपये दिए, जबकि बाकी रकम के लिए विभाग से मिलने पर देने की बात कही। अब कार मालिक सौरभ के खिलाफ शिकायत करने की बात कह रहे हैं।
पुलिस ने सौरभ के पास से दो लैपटाप और दस से अधिक विभागों की मोहरें बरामद की हैं। इनमें एलडीए और आवास विकास समेत कई सरकारी विभागों की मोहरें शामिल हैं। इसके अलावा, तीन से चार फर्जी प्रोजेक्ट फाइलें भी बरामद हुई हैं।
जांच में पता चला है कि सौरभ लखनऊ के गोमतीनगर इलाके के महंगे होटलों में बिल्डरों और अन्य लोगों को मीटिंग के लिए बुलाता था। वह प्रोजेक्ट दिलाने के नाम पर उनसे ठगी करता था। पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि वह किन-किन लोगों के संपर्क में था और कितने लोगों को उसने ठगा है।
सौरभ ने सुरक्षा के लिए मेल किया था, जिसके बाद पुलिस ने लोकल इंटेलिजेंस की रिपोर्ट मांगी थी कि संबंधित व्यक्ति को सुरक्षा की जरूरत है या नहीं। अब सवाल यह उठ रहा है कि किसने उसकी रिपोर्ट लगाई थी कि उसे तीन सुरक्षाकर्मी उपलब्ध कराए गए थे। इसका जवाब पुलिस के पास अभी तक नहीं है।
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