आरती ॐ जय जगदीश हरे | OM JAI JAGDISH HARE | आरती भगवान श्री जगदीश्वर जी की | ॐ जय जगदीश हरे
Автор: Bhartiya Prachya Vidhya Shodh Sansthan
Загружено: 2025-10-28
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आरती भगवान श्री जगदीश्वर जी की
ओम जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट
दासजनो के संकट
क्षण में दूर करे
ओम जय जगदीश हरे
जो ध्यावे फल पावे
दुःख बिनसे मन का
स्वामी दुःख बिनसे मन का
सुख सम्पति घर आवे
सुख सम्पति घर आवे
कष्ट मिटे तन का
ओम जय जगदीश हरे
मात पिता तुम मेरे
शरण गहूं में किसकी
स्वामी शरण गहूं में किसकी
तुम बिन और न दूजा
प्रभु बिन और न दूजा
आस करूं में जिसकी
ओम जय जगदीश हरे
तुम पूरण परमात्मा
तुम अन्तर्यामी
स्वामी तुम अन्तर्यामी
पारब्रह्म परमेश्वर
पारब्रह्म परमेश्वर
तुम सब के स्वामी
ओम जय जगदीश हरे
तुम करुणा के सागर
तुम पालनकर्ता
स्वामी तुम पालनकर्ता
मैं मूरख फलकामी
में सेवक तुम स्वामी
कृपा करो भर्ता
ओम जय जगदीश हरे
तुम हो एक अगोचर
सबके प्राणपति
स्वामी सबके प्राणपति
किस विधि मिलूं दयामय
किस विधि मिलूं दयामय
तुमको मैं कु मति
ओम जय जगदीश हरे
दीन बन्धु दुःख हर्ता
तुम रक्षक मेरे
स्वामी तुम ठाकुर मेरे
अपने हाथ उठाओ
अपनी शरण लगाओ
द्वार पड़ा में तेरे
ओम जय जगदीश हरे
विषय विकार मिटाओ
पाप हरो देवा
स्वामी कष्ट हरो देवा
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ
श्रद्धा प्रेम बढ़ाओ
सन्तन की सेवा
ओम जय जगदीश हरे
तन भी तेरा, मन भी तेरा, सबकुछ हे तेरा
स्वामी सबकुछ हे तेरा
तेरा तुझको अर्पण
तेरा तुझको अर्पण
क्या लागे मेरा
ओम जय जगदीश हरे
ओम जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट
दासजनो के संकट
क्षण में दूर करे
ओम जय जगदीश हरे
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