गीता, अध्याय 1 श्लोक 9,10,11,12 Bhagwad Gita, Chapter 1, Verse 9,10,11,12 || Radhika Devi Dasi
Автор: Radhika Devi Dasi
Загружено: 2024-10-11
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शक्तिशाली योद्धा अर्जुन युद्ध विमुख विपक्षी सेनाओं में अपने निकट संबंधियों , शिक्षकों तथा मित्रों को युद्ध में अपना-अपना जीवन उत्सर्ग करने के लिए उद्योग देखता है । वह शक तथा करुणा से अभिभूत होकर अपनी शक्ति खो देता है, उसका मन मोहग्रस्त हो जाता है और वह युद्ध करने के अपने संकल्प को त्याग देता है ।
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