JJP OFFICIAL: Dushyant Chautala on the Indian Institute of Information Technology (PPP) bill 2017
Автор: JJP OFFICIAL
Загружено: 2018-08-22
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JJP OFFICIAL (Jannayak Janta Party Official)JJP OFFICIAL: 19 July, 2017
दुष्यंत ने लोस में उठाया हिसार की लुवास और हॉर्टिकल्चर विवि में जरूरी ढांचा न होने का मुद्दा
हिसार, 19 जुलाई: सांसद दुष्यंत चौटाला ने आज लोकसभा में प्रदेश में लाला लाजपतराय पशु एवं विज्ञान विश्वविद्यालय और हॉर्टिक्लचर विश्वविद्यालय का आधारभूत ढांचा न बनने का मुद्दा लोकसभा में उठाया। सांसद ने कहा कि इन दिनों विश्वविद्यालयों के स्थापना की घोषणा हुए तो कई बरस बीत चुके हैं परन्तु प्रदेश सरकार द्वारा विश्वविद्यालय की स्थापना को सिरे न चढ़ाने को लेकर गंभीरता न दिखाने के कारण दोनों विश्वविद्यालय के परिसर बनाने के नाम पर अभी एक ईंट भी नहीं लगी। उन्होंने लोकसभा में यह मुद्दा इंडियन इंस्टीच्यूट आफ इन्फॉर्मिेशन टेक्रालॉजी अंडर पीपीटी मॉडल 2017 की चर्चा में भाग लेते हुए उठाया।
युवा सांसद ने इस बिल का समर्थन किया परन्तु इसके क्रियान्वन के समय आने वाली दिक्कतों को देखते हुए भविष्य में इस संशोधन का सुझाव भी दिया। लोकसभा में पेश बिल के अनुसार पीपी माडल के तहत शिक्षण संस्थान स्थापना के लिए 50 प्रतिशत खर्च केंद्र सरकार, 35 प्रतिशत राज्य सरकार और 15 प्रतिशत खर्च इसमें भागीदार इंडस्ट्री द्वारा वहन किया जाएगा। इस योजना के तहत विभिन्न स्थानों पर 20 संस्थान बनाए जाएंगे।
इनेलो सांसद ने कहा कि इस बिल के प्रावधान के अनुसार शिक्षण संस्थानों की स्थापना के लिए सड़क, बिजली व जमीन आदि उपलब्ध करवाने की जिम्मेवारी प्रदेश सरकार की होगी। सांसद ने इस प्रावधान पर सवाल खड़ा करते हुए उदाहरण दिया कि हरियाणा के करनाल में प्रस्तावित हॉर्टिकल्चर यूनिवर्सिटी और हिसार लाला लाजपतराय विश्वविद्यालय की बिडिंग भी कई वर्ष बीत जाने के बाद भी नहीं बनी। हॉर्टिकल्चर विश्वविद्यालय की घोषणा केंद्र सरकार द्वारा की गई थी जबकि हिसार में पशु विज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना पिछली कांग्रेसनीत राज्य सरकार द्वारा की गई थी।
युवा सांसद ने सरकार से पूछा कि जब देश में 20 ऐसे संस्थान बनेंगे तो उनके लिए प्रदेश सरकारों के पास धन की व्यवस्था कहां से होगी? युवा सांसद ने कहा कि इस माडल पर पहले भी संस्थान हैं परन्तु उन शिक्षण संस्थानों में अभी तक पूरी फैकल्टी भी नहीं है। उन्होंने कहा कि ये संस्थानों की फीस लाखों रूपये होती और गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले विद्यार्थी मोटी फीस अदा करने में सक्षम नहीं होते। उन्होंने सदन में सरकार से पूछा कि उद्योग के सहयोग से स्थापित होने वाले इन शिक्षा संस्थानों में क्या सरकार ऐसा प्रावधान करने जा रही है जिससे कि वहां गरीब का बच्चा भी पढ़ सके।
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