गायत्री मन्त्रGayatri Mantra/ॐभूर्भुवः स्व:तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गोदेवस्य धीमहिधियो यो नः प्रचोदयात्॥
Автор: CHAMLING RAI
Загружено: 2025-12-05
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ॐ भूर्भुवः स्व:
तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो
देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
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गायत्री मंत्र का विस्तृत विवरण ☀️
गायत्री मंत्र को वेद माता (वेदों की जननी) कहा जाता है। इसे हिन्दू धर्म के सभी मंत्रों में सर्वोच्च स्थान प्राप्त है और इसे महामंत्र की श्रेणी में रखा जाता है।
मंत्र का मूल पाठ और देवता
देवता: इस मंत्र के मुख्य देवता सविता (Savita) हैं, जो सूर्य देव का वह स्वरूप हैं जो ज्ञान, विवेक और बुद्धि को प्रेरित करते हैं।
ग्रंथ: यह मंत्र ऋग्वेद से लिया गया है।
समय: इसे ब्रह्म मुहूर्त (सूर्योदय से पहले) और सूर्यास्त के समय जपना अत्यंत शुभ माना जाता है।
लाभ:
मानसिक शांति और तनाव मुक्ति।
आत्मिक बल में वृद्धि।
रोगों से मुक्ति और स्वास्थ्य लाभ।
विद्यार्थियों के लिए विशेष रूप से एकाग्रता में वृद्धि।
त्रिकाल संध्या: परम्परानुसार इस मंत्र का जप तीन बार (सुबह, दोपहर और शाम) करना अनिवार्य माना गया है।
बुद्धि की शुद्धि: गायत्री मंत्र जपने का मुख्य उद्देश्य केवल भगवान की पूजा करना नहीं, बल्कि हमारी बुद्धि और विवेक को शुद्ध करना है ताकि हम जीवन में सही निर्णय ले सकें और सत्य के मार्ग पर चल सकें।
ध्वनि ऊर्जा: माना जाता है कि मंत्र के शब्दों का उच्चारण एक विशिष्ट ध्वनि ऊर्जा उत्पन्न करता है, जो मन को शांति देती है और एकाग्रता बढ़ाती है।
सर्वाधिक जप: ॐ (Aum) ध्वनि के बाद, यह मंत्र पूरी दुनिया में सबसे अधिक जपे जाने वाले संस्कृत मंत्रों में से एक है।
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