रोवै मतना मां के जाए haryanvi ragni competition karan singh rajkishan | Dada mange Ram ki Ragani
Автор: Karan Singh Mkdolia
Загружено: 2025-07-20
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रोवै मतना मां के जाए haryanvi ragni competition karan singh rajkishan | Dada mange Ram ki Ragani
वार्ता- जब राजा पश्चाताप कर रहे थे तो वे जल्लाद बता देते हैं कि महाराज अगर हमारी खता माफ कर दी जाए तो हम एक बात बता सकते हैं। राजा कहते हैं कि सच बताओं क्या बात बताना चाहते हो, तुम्हें कोई सजा नहीं दी जाएगी। जल्लाद बताते हैं कि महाराज विक्रमा जीवित है और हम उसे ला सकते हैं। महाराज के सामने विक्रमा को लाया गया तो राजा अफसोस के मारे रोने लग जाते हैं। बड़े भाई को इस प्रकार रोता देख विक्रमा क्या कहता हैं-
रोवै मतन्या मां के जाए रोवै मतन्या,
राजपाट धन दौलत सारी खोवै मतन्या ॥टेक।
एक बै शक्ल दिखादे मनैं उस पिंगला भाभी की,
मैं भी खुशबू ले ल्यूंगा तेरे फूल गुलाबी की,
दरबारां म्हं तोहमद लाई ठग चोर शराबी की,
आज सब मालम पाट गई तनैं मेरी खराबी की,
लाख तरां समझाया भरथरी सोवै मतन्या ॥1।
आदम देह पै नौ दिशा आती हैं हर साल,
कोय दिशा अन्न धन कर दे कोय करदे कंगाल,
जन्म दिशा मेरे पै आई टेड्डा पडया सवाल,
घर-घर बिकता हांड्या तेरा दो पीस्यां म्हं लाल,
इब तेरे बटवे के दाम भरथरी टोहवै मतन्या ॥2।
तारे गिणते-गिणते आडै तेरी रात कट्या करती,
वो भी दिन सै याद आडै मेरी बात कट्या करती,
सौ-सौ बर पिंगला के हाथां मेरी नाक कट्या करती,
दरबारां म्हं मेरी गर्दन तेरे हाथ कट्या करती,
जाण बूझ कै रांह म्हं कांटे बोवै मतन्या ॥3।
देह का घास हुए पाछै के सम्भलण म्हं सम्भल्या,
सबका दास हुए पाछै के सम्भलण म्हं सम्भल्या,
पर्दाफाश हुए पाछै के सम्भलण म्हं सम्भल्या,
कती सत्यानाश हुए पाछै के सम्भलण म्हं सम्भल्या,
मांगेराम चढ़े तवे पै दो पोवै मतन्या ॥4।
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