✨ श्रीमद्भागवत महापुराण: तृतीय स्कंध | द्वितीय अध्याय | उद्धव जी द्वारा श्रीकृष्ण का भावपूर्ण स्मरण
Автор: Shri TaraGiri Ji Maharaj
Загружено: 2025-12-20
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पिछले अध्याय में विदुर जी और उद्धव जी का मिलन हुआ था। जब विदुर जी ने भगवान कृष्ण का कुशल-मंगल पूछा, तो उद्धव जी गहरे प्रेम और विरह में डूब गए। इस अध्याय में उनकी उसी भावुक अवस्था और कृष्ण की लीलाओं का वर्णन है।
विदुर जी का प्रश्न सुनकर उद्धव जी कुछ क्षणों के लिए समाधि में चले गए। उनकी आँखों से प्रेमाश्रुओं की धारा बहने लगी। उन्हें याद आया कि जिस भगवान के साथ उन्होंने अपना पूरा जीवन बिताया, वे अब इस भौतिक जगत में प्रत्यक्ष रूप से विद्यमान नहीं हैं।
• उद्धव जी ने कहा, "हे विदुर! मैं क्या कहूँ? उस सूर्य (कृष्ण) के अस्त हो जाने पर संसार में अब अंधकार छा गया है।"
उद्धव जी ने विदुर जी को बताया कि यदुवंशियों ने भगवान को अपने साथ रहते हुए भी उनके पूर्ण ऐश्वर्य को नहीं पहचाना, ठीक वैसे ही जैसे मछली सागर में रहते हुए भी सागर की विशालता को नहीं जानती।
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