प्रेमचंद जी की जन्म जयंती स्पेशल। जीवन कवन ओर साहित्य लेखन करने का उद्देश्य।
Автор: MANISHSIR OFFICIAL
Загружено: 2024-07-28
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मुंशी प्रेमचंद (धनपत राय श्रीवास्तव) का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी के पास लमही गाँव में हुआ था। वे हिन्दी और उर्दू के महान उपन्यासकार और कहानीकार थे। उनके पिता अजायब राय एक डाकमुंशी थे। प्रेमचंद की प्रारंभिक शिक्षा गाँव में ही हुई और बाद में उन्होंने वाराणसी के क्वींस कॉलेज से मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की।
उनका पहला विवाह बाल्यावस्था में ही हुआ, लेकिन वह विवाह असफल रहा। बाद में उन्होंने शिवरानी देवी से विवाह किया। प्रेमचंद ने अपने लेखन के माध्यम से सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर प्रकाश डाला और उनकी रचनाओं में भारतीय ग्रामीण जीवन की सजीव झलक मिलती है।
प्रेमचंद की प्रमुख रचनाएँ हैं: "गोदान," "गबन," "निर्मला," "रंगभूमि," और "कर्मभूमि" आदि। उनकी कहानियाँ और उपन्यास सामाजिक सुधार, ग्रामीण जीवन, गरीबी, और भारतीय संस्कृति पर आधारित हैं। प्रेमचंद ने अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में जागरूकता फैलाने का कार्य किया और उन्हें "उपन्यास सम्राट" के नाम से भी जाना जाता है।
मुंशी प्रेमचंद का निधन 8 अक्टूबर 1936 को वाराणसी में हुआ। उनकी रचनाएँ आज भी भारतीय साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं।
मुंशी प्रेमचंद ने साहित्य लेखन को अपने जीवन का ध्येय क्यों बनाया, इसके पीछे कई कारण हैं:
1. **सामाजिक सुधार**: प्रेमचंद का मानना था कि साहित्य समाज का दर्पण है। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज की कुरीतियों, अंधविश्वासों, और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई। उनके लेखन में किसानों, मजदूरों, महिलाओं और दलितों के संघर्षों का सजीव चित्रण मिलता है।
2. **व्यक्तिगत अनुभव**: प्रेमचंद का बचपन कठिनाइयों में बीता था। उनके जीवन में गरीबी, कठिनाइयाँ और संघर्ष का बड़ा हिस्सा रहा, जिसने उन्हें आम लोगों के दर्द और समस्याओं को समझने और व्यक्त करने की प्रेरणा दी।
3. **राष्ट्रीय चेतना**: प्रेमचंद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से भी प्रभावित थे। उन्होंने अपने लेखन के माध्यम से देशभक्ति, स्वदेशी आंदोलन और भारतीय राष्ट्रीयता की भावना को प्रोत्साहित किया।
4. **शिक्षा और जागरूकता**: प्रेमचंद ने महसूस किया कि समाज में शिक्षा और जागरूकता का प्रसार आवश्यक है। उन्होंने अपने साहित्य के माध्यम से लोगों को शिक्षित करने और उनके भीतर सामाजिक और नैतिक मूल्यों को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया।
5. **साहित्यिक रुचि और प्रतिभा**: प्रेमचंद को बचपन से ही पढ़ने-लिखने का शौक था। उनकी साहित्यिक प्रतिभा और गहरी रुचि ने उन्हें एक महान लेखक बनाया।
इन सभी कारणों ने प्रेमचंद को साहित्य के माध्यम से समाज में बदलाव लाने के लिए प्रेरित किया, और इस प्रकार वे हिन्दी और उर्दू साहित्य के प्रमुख स्तंभ बने।
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