#दुःखद
Автор: Mahanubhav Pranav Dharmaprasaran
Загружено: 2025-02-15
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जिन जिनके मुखमें हमारे श्रीपरमेश्वरका नाम, वाणी , अमृतधारा उन उन महान आत्माओंको धर्मके प्रीय, अच्युतगोत्रियोंको कोटी कोटी दंडवत प्रणाम, जो हमारे पूर्वजों कल थें, हमारे अनंतोंने अनेकके हृदयमें वास किया, चाहे धरतीके इस कोणे - उस कोणेसे..थें, हैं, रहेंगें, परमप्रीत, स्नेहभावसे कडी ही कठिन परिश्रम परिस्थितीओंसे निकलें, निकल रहें, लोगोंका, समाजका, व्यवहारमें सामना करतें करतें...
और जैसे हमारे #श्रीचक्रधर स्वामिने कहा, शिष्य और गुरूका संबंध, अभिमान..! माताको जैसे अपने बालकका स्नेह! धर्मध्वजा सदा फडकता रहें, बहुतों बडे बडे हमनें गँवायें, कुछने हमारे हृदयमें भी वास किया ! हमें हमारा महान परधर्मका गौरव !
आज भी होता हैं, काश वे आज हमारे पास होतें, काश हम ये कहतें, यें पूछतें..आज जो नहीं रहें, अप्राप्तिका दुख.
जैसे हमारे खास धर्मस्तंभ श्रीभटोबासजीने बाइसाजीके जानेके बाद किया..😢.
🙏💐 #दंडवतप्रणाम निमित्तानां 🙏💐
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