सत् चित् आनन्द रूप तुम, कहें संत श्रृति वेद ! सत्पथ में पग धरत हि मिली है याको भेद ! पद्यसंंग्रहसे..
Автор: अध्यात्म विश्व विज्ञान
Загружено: 2025-11-30
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सत् चित् आनन्द रूप तुम, कहें संत श्रृति वेद ! सत्पथ में पग धरत हि मिली है याको भेद ! पद्यसंंग्रहसे..
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