स्वामी रामसुखदासजी महाराज - ' तू-ही-तू '
Автор: Pradeep Joshi
Загружено: 2017-12-16
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स्वामीजी- सुन्दर पुष्प खिले हों,सुगंध आ रही हो तो वह भी भगवान् का स्वरूप है और मांस , हड्डियाँ , मैला पड़ा हो , दुर्गन्ध आ रही हो तो वह भी भगवान् का स्वरूप है |
'मैं' और 'मेरा' को छोड़कर 'तू' और 'तेरा' को स्वीकार करना है | फिर 'तेरा' भी न रहे , प्रत्युत 'तू-ही-तू' रह जाये | 'मैं' की जगह भी केवल भगवान् ही रह जायें |
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