Kya vah swabhav pahala | क्या वह स्वभाव पहला by Indresh Ji Upadhyay with lyrics
Автор: Murlidhar Maharaj
Загружено: 2024-05-10
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क्या वह स्वभाव पहला सरकार अब नहीं है।
हम दीनों के वास्ते क्या दरबार अब नहीं है।
या तो दयालु मेरी दृढ़ दीनता नहीं है।
या दिनों की तुम्हें हीं दरकार अब नहीं है।
क्या वह स्वभाव पहला सरकार अब नहीं है।
(मधुर संवाद)
क्या वह स्वभाव पहला सरकार अब नहीं है।
हम दीनों के वास्ते क्या दरबार अब नहीं है।
(संगीत)
पाते थे जिस ह्रदय से आश्रय अनाथ लाखों।
क्या वह हृदय दया का भण्डार अब नहीं है।
क्या वह स्वभाव पहला सरकार अब नहीं है।
जिससे कि द्विज सुदामा त्रयलोक्य पा गया था।
क्या उस उदारता में कुछ सार अब नहीं है।
क्या वह स्वभाव पहला सरकार अब नहीं है।
(संगीत)
दौड़े थे द्वारिका से जिस पर अधीन होके।
(श्लोक, संवाद)
दौड़े थे द्वारिका से जिस पर अधीन होके।
उस अश्रु ‘बिन्दु’ से भी क्या प्यार अब नहीं है।
क्या वह स्वभाव पहला सरकार अब नहीं है।
हम दीनों के वास्ते क्या दरबार अब नहीं है।
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