निष्काम सेवा और ईमान: बाबा जुमदेव जी के जीवन के दो मजबूत स्तंभ, शुद्ध विचार = भगवान का वास
Автор: Jaydeo Domaji Dhande
Загружено: 2025-12-18
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निष्काम सेवा और ईमान: बाबा जुमदेव जी के जीवन के दो मजबूत स्तंभ | शुद्ध विचार = भगवान का वास
नमस्कार सेवक भाइयों और बहनों,
आज के इस विशेष वीडियो में हम परमपूज्य परमात्मा एक मार्ग के प्रणेता बाबा जुमदेवजी के उन दिव्य विचारों पर चर्चा करेंगे, जो हमारे जीवन को बदलने की शक्ति रखते हैं। बाबा ने हमेशा सिखाया कि मनुष्य का असली शत्रु बाहर कोई शैतान नहीं, बल्कि उसके भीतर का 'अहंकार' है।
इस वीडियो में आप जानेंगे:
शुद्ध विचार क्या हैं? बाबा के अनुसार अपनी जिम्मेदारी समझना और तत्व, शब्द, नियम के आइने में खुद को देखना ही शुद्धता है।
निष्काम सेवा का महत्व: बिना किसी फल की इच्छा के की गई सेवा ही परमात्मा तक पहुँचने का सबसे छोटा रास्ता है।
ईमान की शक्ति: जो वचन हमने भगवान को दिया है, उस पर मरते दम तक अडिग रहना ही सच्चा ईमान है।
अहंकार का त्याग: कैसे 'मैं' को मारकर हम दैवीय शक्ति का साक्षात्कार कर सकते हैं।
बाबा जुमदेव जी ने अपने पूरे जीवन को एक उदाहरण के रूप में जीकर दिखाया। आइये, हम भी संकल्प लें कि हम अपने कर्मों में निष्काम भाव लाएंगे और बाबा के बताए मार्ग पर चलकर अपने जीवन में सुख और शांति प्राप्त करेंगे।
"जहाँ ईमान है, वहाँ भगवान है।"
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