Kuber Temple in Mandsaur:मंदसौर में शिवजी के साथ कुबेरजी
Автор: TECH COMPUTERS
Загружено: 2024-12-19
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Kuber Temple Mandsaur ।
श्री कुबेर मंदिर मंदसौर ।
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केदारनाथ के बाद केवल मंदसौर में शिवजी के साथ मिलेंगे कुबेरजी। खिलचीपुरा में स्थित श्री धौलागढ़ महादेव मंदिर के गर्भगृह में भगवान कुबेर शिव परिवार के साथ विराजे हैं।
पूरे देश में श्री केदारनाथ के बाद मंदसौर ही ऐसी जगह है जहां शिवजी के साथ कुबेरजी विराजित है।
मंदसौर ऐसा शहर है, जहां रावण को दामाद माना जाता है और यहीं उनके भाई धन के देवता कुबेर का मंदिर भी है। मंदिर में माथा टेकने बड़े-बड़े नेता और आइएएस-आइपीएस अफसर भी आते हैं। शहर से सटे खिलचीपुरा में स्थित श्री धौलागढ़ महादेव मंदिर के गर्भगृह में भगवान कुबेर शिव परिवार के साथ विराजे हैं। पूरे देश में श्री केदारनाथ के बाद मंदसौर ही ऐसी जगह है जहां शिवजी के साथ कुबेरजी विराजित है। मान्यता है कि मराठाकाल में इस मंदिर का निर्माण हुआ था। कहते हैं पूजा-आराधना करने से धन संबंधी सारी चिंताएं दूर हो जाती हैं। सिर्फ मनुष्य ही नहीं देवता भी कुबेर को धन का देवता मानते हैं। स्वयं भगवान शिव ने उन्हें धन का देवता नियुक्त किया है। धनतेरस पर अलसुबह से ही यहां पूजा-अर्चना का सिलसिला शुरू हो जाता है जो देर तक चलता है।
सामने से देखने पर तिरछा नजर आता है मंदिर, मंदिर की कोई नींव नहीं हैं।मंदसौर में विराजित हैं कुबेर भगवान:सामने से देखने पर तिरछा नजर आता है मंदिर, मंदिर की कोई नींव नहीं हैं
मंदसौर3 वर्ष पहले
सामने से देखने पर तिरछा नजर आता है मंदिर, मंदिर की कोई नींव नहीं हैं|मंदसौर,Mandsaur - Dainik Bhaskar
भगवान कुबेर।
मंदसौर के खिलचीपुरा में स्थित भगवान कुबेर जी का मंदिर। बताते हैं यह देश का एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां भगवान कुबेर भगवान, शिव जी और गणेश जी के साथ विराजित हैं। मंदसौर के कुबेर मंदिर में धनतेरस के दिन मंदिर में विशेष आयोजन होते हैं। भगवान कुबेर जी का खास दिन धनतेरस होने से दूर-दूर से श्रद्धालू यहां दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ सुबह 4 बजे से ही जुटना शुरू हो जाती है। देर रात तक यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।
पुरातत्वबिदों के अनुसार आज भी इस मंदिर की कोई नींव नहीं हैं। बताया जाता है कि मंदिर का इतिहास करीब करीब 1400 वर्ष पुराना है। मंदिर की खासियत यह है कि आज भी मंदिर को सामने से देखने पर तिरछा ही नजर आता है। मंदिर की बनावट ही ऐसी है कि दर्शन के दौरान श्रद्धालुओं को सिर झुकाकर की मंदिर में प्रवेश करना पड़ता है।
इस गुफानुमा मंदिर में भगवान शिव अपने भव्य लिंग रूप में विराजित हैं। इसके पास दीवार पर भगवान कुबेर की प्रतिमा स्थापित है। इसके साथ ही विघ्नहर्ता भगवान गणेश विराजित हैं। मूर्ति में कुबेर बड़े पेट वाले, चतुर्भुजाधारी सीधे हाथ में धन की थैली और तो दूसरे में प्याला धारण किए हुए हैं।
नर वाहन पर सवार इस मूर्ति की ऊंचाई लगभग तीन फीट है। मान्यता है कि भगवान शिव के साथ धन के देवता कुबेर एक साथ विराजित होने से यह स्थान तंत्र क्रियाओं के लिए खास हैं। धन धान्य की प्राप्ति के लिए यहां धनतेरस को विशेष हवन पूजन किए जाते हैं। धन के देवता कुबेर जी का अति प्राचीन मंदिर होने की वजह से आस्था का खास केंद्र है। धन तेरस पर विशेष तौर से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं और अपनी सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
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