कृष्णाष्टकम् भावार्थ सहित l कृष्ण जन्माष्टमी भजन पर जरूर सुने l Krishnastakam BhajeVraje Kamandanam
Автор: Vedic Sangeet (वैदिक संगीत)
Загружено: 2021-04-27
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यूट्यूब पर पहली बार 'आदि शंकराचार्य' कृतम् "श्री कृष्णाष्टकम् " हिंदी भावार्थ सहित
ll श्री कृष्णाष्टकम् - आदि शंकराचार्य ll
भजे व्रजैकमण्डनं समस्तपापखण्डनं
स्वभक्त-चित्तरंजनं सदैव नन्दनन्दनम्।
सुपिच्छ-गुच्छ-मस्तकं सुनाद-वेणुहस्तकं
ह्यनंग-रंगसागरं नमामि कृष्णनागरम्॥1॥
ब्रज भूमि के एक मात्र आभूषण, समस्त पापों को नष्ट करने वाले तथा अपने भक्तों के चित्त को आनंदित करने वालें, नंद नंदन को सर्वदा भजता हूं। जिनके मस्तक पर मनोहर मोर पंखों का मुकुट सुशोभित है, हाथों में सुरिली बांसुरी है तथा जो समस्त कलाओं के सागर हैं, उन नटनागर श्री कृष्ण को नमस्कार करता हूं। ll१
मनोजगर्वमोचनं विशाल-लोल-लोचनं
विधूतगोपशोचनं नमामि पद्मलोचनम्।
करारविन्दभूधरं स्मितावलोकसुन्दरं
महेन्द्रमानदारणं नमामि कृष्णवारणम्॥2 ॥
कामदेव का मान मर्दन करने वाले, बड़े बड़े सुंदर नेत्रों वालें तथा ब्रज गोपाें का शोक हरने वाले कमलनयन भगवान श्री कृष्ण को नमस्कार करता हूं। जिन्होंने अपने कर कमलों पर गिरीराज (गोवर्धन पर्वत) को धारण किया था।तथा जिनकी मुस्कान और चितवन अति मनोहर है देव राज इन्द्र का मान मर्दन करने वाले उन श्री कृष्ण रूपी गजराज को नमस्कार करता हूं। ll२
कदम्बसूनुकुण्डलं सुचारु-गण्ड-मण्डलं
व्रजांगनैकवल्लभं नमामि कृष्णदुर्लभम्।
यशोदया समोदया सगोपया सनन्दया
युतं सुखैकदायकं नमामि गोपनायकम्॥3॥
जिनके कानों में कदम पुष्पों के कुंडल हैं,परम सुंदर कपोल हैं तथा ब्रजवालाओं के जो एक मात्र प्राण आधार हैं उन दुर्लभ श्रीकृष्ण को प्रणाम करता हूं,जो गोप गण तथा नंद जी सहित अति प्रसन्न यशोदा जी से युक्त हैं और एक मात्र आनंद दायक हैं उन गोप नायक गोपाल को नमस्कार करता हूं। ३
सदैव पादपंकजं मदीयमानसे निजं
दधानमुत्तमालकं नमामि नन्दबालकम्।
समस्त-दोष-शोषणं समस्तलोकपोषणं
समस्तगोपमानस नमामि कृष्णलालसम्॥4॥
जिन्होंने अपने चरण कमलों को मेरे मन रूपी सरोवर में स्थापित कर रखा है उन अति सुंदर अलकों वाले नंद कुमार को नमस्कार करता हूं।
समस्त दोषों को दूर करने वाले तथा समस्त लोकों का पोषण करने वाले और समस्त ब्रज गोपों के हृदय तथा नंद जी की लालसा रूप श्री कृष्ण को नमस्कार करता हूं ll ४
भुवो भरावतारकं भवाब्धिकर्णधारकं
यशोमतीकिशोरकं नमामि दुग्धचोरकम्।
दृगन्तकान्तभंगिनं सदासदालसंगिनं
दिने दिने नवं नवं नमामि नन्दसम्भवम्॥5॥
भूमि का भर उतारने वाले, संसार-सागर के कर्णधार,मनोहर यशोदा कुमार को नमस्कार करता हूं।अति कमनीय कटाक्ष वाले, सदेव सुंदर आभूषण धारण करने वाले, नित्य-नूतन नंद कुमार को नमस्कार करता हूं ll ५
गुणाकरं सुखाकरं कृपाकरं कृपावरं
सुरद्विषन्निकन्दनं नमामि गोपनन्दनम्।
नवीनगोपनागरं नवीनकेलिलम्पटं
नमामि मेघसुन्दरं तडित्प्रभालसत्पटम्॥6 ॥
गुणों के भंडार,सुख सागर,कृपा निधान और कृपालु गोपाल जो देव शत्रुओं को नष्ट करने वाले हैं को मैं नमस्कार करता हूं। नित्य-नूतन लीला बिहारी मेघ-श्याम नटनागर गोपाल को, जो बिजली के सी आभा वाला अति सुंदर पीतांबर धारण किये हुए हैं नमस्कार करता हूं ll ६
समस्तगोपनंदनं हृदम्बुजैकमोहनं
नमामि कुंजमध्यगं प्रसन्नभानुशोभनम्।
निकामकामदायकं दृगन्तचारुसायकं
रसालवेणुगायकं नमामि कुंजनायकम्।7॥
जो समस्त गोपों को आनंदित करने वाले और हृदय कमल को विकसित करने वाले दिव्य सूर्य के समान शोभायमान हैं उन कुंज मध्यवर्ती श्यामसुंदर को नमस्कार करता हूं। जो सभी कामनाओं को भली भांति पूर्ण करने वाले हैं, जिनकी चारु-चितवन वाणों के समान है,सुमधुर वेणु बजा कर गान करने वाले उन कुंज नायक को नमस्कार करता हूं ll७
विदग्ध गोपिका मनो मनोज्ञा तल्पशायिनम्
नमामि कुञ्ज कानने प्रवृद्ध वह्नि पायिनम् l
किशोरकान्ति रञ्जितम, द्रुगन्जनम् सुशोभितम
गजेन्द्र मोक्ष कारिणम, नमामि श्रीविहारिणम॥ ८
चतुर गोपिकाओं के मन रूपी सुकोमल सैया पर शयन करने वाले तथा कुंज वन में बढ़ती हुई दवाग्नि को पान कर जाने वाले, किशोरावस्था की कांति से सुशोभित, अंजन युक्त सुंदर नेत्रों वाले, गजेंद्र को ग्राह से मुक्त करने वाले, श्री जी के साथ विहार करने वाले श्री कृष्ण को नमस्कार करता हूं।ll ८
यथा तथा यथा तथा तदैव कृष्ण सत्कथा
मया सदैव गीयताम् तथा कृपा विधीयताम ।
प्रमानिकाश्टकद्वयम् जपत्यधीत्य यः पुमान
भवेत् स नन्द नन्दने भवे भवे सुभक्तिमान ॥ ९ ॥
हे भगवान कृष्ण! कृपया मुझे आशीर्वाद दें कि मैं सदा आपके गौरव और अतीत की सद-कथाओं का गान कर सकूं, चाहे मैं जिस भी पद पर या परिस्थिति में रहूं। कोई भी व्यक्ति जो इन दोनों आधिकारिक अष्ठकों का अध्ययन या पाठ करता है, उसे हर पुनर्जन्म में नंद नंदन श्याम सुन्दर की भक्ति का आशीर्वाद मिलेगा।९
॥ इति श्रीशंकराचार्यकृतं कृष्णाष्टकं सम्पूर्णम् ॥
गायिका - माधवी मधुर झा
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