H1-B Visa नए नियमों से Bharat को झटका, लेकिन बड़ा अवसर भी | Decode With Sudhir Chaudhary
Автор: DD News
Загружено: 2025-09-22
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पाकिस्तान के बाद हम बात करेंगे अमेरिका के H1-B वीजा की, जिसको लेकर पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है। और इसे लेकर तरह-तरह की बातें की जा रही हैं। अब हम H1-B वीजा नियम पर भ्रम दूर करने वाला विश्लेषण करेंगे, क्योंकि पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा H1-B वीजा भारत को लोगों को ही मिलता है। वीजा नियम बदलने के बाद अमेरिका में रहने वाले भारतीय और नया वीजा का आवेदन देने वाले लोगों में भ्रम हो गया है। अभी अमेरिका में 5 लाख भारतीय H1-B पर रह रहे हैं, जबकि भारत से हर साल करीब 3 लाख लोग H1-B का आवेदन देते हैं। अमेरिका में जो अप्रवासी लोग काम करते हैं उन्हें एक वीजा दिया जाता है जिसका नाम है- H1-B सामान्य तौर पर IT एक्सपर्ट और हेल्थकेयर से जुड़े लोगों को, ये वीजा दिया जाता है और इस वीजा के लिए एक फीस ली जाती है। अब 21 सितंबर से इस वीजा फीस को लेकर नए नियम जारी किए गए हैं। नए नियम में वीजा फीस बढ़ाकर 1 लाख डॉलर यानी करीब 88 लाख रुपए कर दिया गया है। पहले ये फीस केवल साढ़े 7 हजार डॉलर से लेकर 10 हजार डॉलर तक होती थी, यानी 6 लाख रुपये से लेकर करीब 9 लाख रुपये तक थी। अब वीजा फीस लगभग 10 गुना बढ़ चुकी है। अभी वीजा 3 साल के लिए मिलता है और 3 साल बाद renew करना होता है। Renew करने पर फिर से पहले की तरह वीजा फीस देनी होती है। नए नियम के मुताबिक बढ़ी हुई फीस से 3 साल के लिए ही वीजा मिलेगा। पहले काफी लोगों को ये भ्रम हो गया था कि हर साल 88 लाख रुपये देने होंगे, लेकिन ऐसा नहीं है। ये वीजा फीस 3 साल के लिए है। लेकिन 3 साल बाद नए लोगों को फिर से renew के लिए 88 लाख रुपये फीस देना है या नहीं, इस पर अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं किया गया है। नए नियम में कुछ छूट भी हैं जिन्होंने 21 सितंबर से पहले नए H1-B वीजा के लिए आवेदन दिया था, उन्हें ज्यादा फीस नहीं देनी होगी। जिन लोगों ने 21 सितंबर से पहले H1-B वीजा Renew के लिए आवेदन दिया था, उन्हें भी ज्यादा फीस नहीं देनी होगी। अमेरिका में हर साल करीब 4 लाख H1-B वीजा जारी होते हैं। अमेरिका के कुल H1-B वीजा का लगभग 70 से 72 पर्सेंट हिस्सा भारत को मिलता है। वर्ष 2022 में भारत को 2 लाख 79 हजार H1-B वीजा मिले थे जबकि वर्ष 2023 में 2 लाख 83 H1-B वीज़ा भारतीयों को मिले थे। भारत के बाद H1-B वीजा पाने में दूसरे नंबर पर चीन है लेकिन चीन को केवल 11 पर्सेंट ही H1-B वीजा मिलता है। जो नियम बदले गए हैं उसका असर हमारे देश के उन लोगों पर तुरंत हो सकता है जो 21 सितंबर के बाद वीजा का आवेदन देने वाले थे। H1-B वीजा महंगा होने का असर अमेरिका और भारत दोनों की ही कंपनियों पर होगा। जो अप्रवासी भारतीय अमेरिका में काम करते हैं, उनकी सैलरी अमेरिकी नागरिकों के मुकाबले कम होती है, जबकि उनकी Skill ज्यादा अच्छी होती है। इसीलिए अमेरिकी कंपनियां ज्यादा से ज्यादा भारतीयों को नौकरी देती है। Amazon, Microsoft, Meta, Apple और Google जैसी अमेरिकी कंपनियां इसमें शामिल हैं। अमेरिका की बड़ी IT कंपनियां में ज्यादातर भारतीय इंजीनियर हैं। भारतीय IT कंपनियों में Infosys, TCS, HCL और Wipro जैसी कंपनियां शामिल हैं जिन्हें सबसे ज्यादा H1-B वीजा मिलता है।
अमेरिका में भारतीय IT कंपनियों का कारोबार काफी ज्यादा फैला हुआ है। H1-B वीजा पर काम करने वाले एक व्यक्ति का एक साल का औसत वेतन करीब 70 लाख रुपये होता है। यानी अब एक कंपनी को एक साल की सैलरी से ज्यादा वीजा के लिए पैसे खर्च करने होंगे। ऐसे में कंपनियां नई वीजा फीस केवल चुनिंदा और सीनियर अधिकारियों के लिए ही देंगी। इस वजह से अधिकांश लोगों को अमेरिका से भारत भेज दिया जाएगा और नए लोगों को भारत से ही काम करने का ऑफर मिलेगा। वीजा फीस महंगी होने की वजह से अब अमेरिका में कारोबार करने वाली कंपनियां भारत, चीन और कनाडा जैसे देशों में ज्यादा ऑफिस खोल सकती हैं। खास तौर पर भारत उनका सबसे पसंदीदा स्थान हो सकता है, क्योंकि चीन में अभी भी काफी ज्यादा पाबंदियां हैं। भारत के लिए यह एक बड़ा मौका है। भारतीय टैलेंट यहीं रहेगा और Made in India Innovation को बढ़ावा मिलेगा। Startups और Research मजबूत होंगे और भारत Global Innovation Hub बन सकता है।
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