Woh Swyam Aa Rahe Hein | Ayodhya Ram Mandir | Jai Shree Ram | Tantra Music
Автор: Tantra Music Bhakti
Загружено: 2025-08-20
Просмотров: 299
Tantra Music celebrates the inauguration of Shri Ram Mandir at Ayodhya. We are proud to bring you this beautiful poetry for this auspicious occasion written & recited by Shri Kamal Poddar dedicated to Bhagwan Shri Ram “WOH SWYAM AA RAHE HEIN”
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Team Timesign Media & Tantra Music congratulates the entire nation for this historic moment. JAI SHRI RAM 🙏
Title : Woh Swyam Aa Rahe Hein
Written & Recited by Kamal Poddar
Music & Produced by : Avishek Majumder
Creative Advisor : Manjeet Singh Kohli
Edited by Rishab Pitale
Production : Nitin Agarwal
Publicity Design : Arjun S
Post-Production : Siddhartha Das
Special Thanks : Shri Rajni Acharya & team Takshila
Label : Tantra Music
Lyrics
राम सिया राम, सिया राम
राम सिया राम, जय जय राम,
राम सिया राम, सिया राम
राम सिया राम, जय जय राम,
दिवस शुरू जिनके वंदन से
सांझ ढले जिनके सुमिरन से
ह्रदय पटल पर वो छा रहें है
अब वो स्वयं आ रहे हैं
अब वो स्वयं आ रहे हैं
प्रतीक्षा में जिनकी युग बीते
बाट जोहते अश्रु रीते
हम सबका उद्धार करन को
अब वो स्वयं आ रहे हैं
अब वो स्वयं आ रहे हैं
राम सिया राम, सिया राम
राम सिया राम, जय जय राम
अधरों पर सबके मुस्कान
अवध पुरी करती गुणगान
असंख्य मोती जगमगा रहें हैं
अब वो स्वयं आ रहे हैं
अब वो स्वयं आ रहे हैं
युगों बाद मिलेंगे भगवन
सच में कर पाएंगे दर्शन
नयन यही स्वप्न दिखा रहें हैं
अब वो स्वयं आ रहे हैं
अब वो स्वयं आ रहे हैं
राम सिया राम, सिया राम
राम सिया राम, जय जय राम
जनक नंदिनी की अभिलाषा,
कौशल्या मां की हैं आशा,
दशरथ सुत वचन निभा रहें हैं,
अब वो स्वयं आ रहे हैं
अब वो स्वयं आ रहे हैं
लखन लाल सुमित्रा के नंदन,
चंदन समान सुगंधित शत्रुघ्न,
माँ कैकेयी का मन लुभा रहे हैं
अब वो स्वयं आ रहे हैं
अब वो स्वयं आ रहे हैं
राम सिया राम, सिया राम
राम सिया राम, जय जय राम
चरण पादुका पुनः प्रकाशित
चहुं ओर अब सतयुग आभाषित
भरत आलिंगन समा रहे हैं
अब वो स्वयं आ रहे हैं
अब वो स्वयं आ रहे हैं
लिए केसरी नंदन की प्रीत
जिसने लिया सकल जगजीत
जो जय जय सियाराम गा रहे हैं
अब वो स्वयं आ रहे हैं
अब वो स्वयं आ रहे हैं
राम सिया राम, सिया राम
राम सिया राम, जय जय राम
केवट को भी पार लगाने,
शबरी सके बेरों को खाने,
प्रेम अलौकिक जता रहे हैं,
अब वो स्वयं आ रहे हैं
अब वो स्वयं आ रहे हैं
अधर्म पराजित, धर्म की जय हो,
राम हैं संग तो किसका भय हो,
सोई सुध बुध जगा रहे हैं,
अब वो स्वयं आ रहे हैं
अब वो स्वयं आ रहे हैं
राम सिया राम, सिया राम
राम सिया राम, जय जय राम
सत्य सनातन की आहट है,
होने लगा अब पुन: प्रकट है,
सनातन मन अब हर्षा रहें है,
अब वो स्वयं आ रहे है ।
गगन मंडल पर आभा चमके,
राम कीर्ति चहुं ओर दमके,
धर्मध्वजा सब फहरा रहें है,
अब वो स्वयं आ रहे है
प्रभु राम आ रहे हैं
हम सबके आराध्य प्रभु श्रीराम आ रहे हैं
हम सबके आराध्य प्रभु श्रीराम आ रहे हैं
प्रभु श्रीराम आ रहे हैं
प्रभु श्रीराम आ रहे हैं
जय जय सिया राम
जय जय सिया राम
जय श्रीराम
जय जय सिया राम
जय सिया राम
जय श्रीराम
जय सिया राम
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