मन रे नेकी कर ले दो दिन का मेहमान | कबीर वाणी भजन | Kabir Das Bhajan | Kabir Ke Dohe | Kabir Vani
Автор: कबीर वाणी - अंतरयात्रा भजन
Загружено: 2025-10-16
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ni🌼 यह भजन हमें याद दिलाता है कि यह जीवन क्षणभंगुर है — दो दिन का मेहमान।
धन, परिवार, मान-सम्मान सब यहीं रह जाने वाले हैं।
सिर्फ नेकी (सद्गुण), भक्ति और सच्चे कर्म ही हमारे साथ जाते हैं।
कबीरदास जी ने इस भजन के माध्यम से बताया है कि गुरु और नाम-स्मरण ही सच्चा ज्ञान है जो आत्मा को मोक्ष के मार्ग पर ले जाता है।
🌿 भजन का भावार्थ (सरल भाषा में):
🕊️ 1️⃣ "मन रे नेकी कर ले, दो दिन का मेहमान"
कबीर जी कहते हैं — हे मन! अच्छे कर्म कर, क्योंकि तू इस संसार में बस कुछ ही समय का मेहमान है। यह जीवन बहुत छोटा है।
👨👩👧👦 2️⃣ "जोरु लड़का कुटुम्ब कबीला..."
परिवार, रिश्तेदार, धन और शरीर — ये सब दो दिन के साथी हैं।
अंत समय में कोई साथ नहीं देगा, सिर्फ तेरे कर्म ही तेरे साथ चलेंगे।
🪞 3️⃣ "कहाँ से आया कहाँ जाएगा..."
तू इस संसार में कहाँ से आया और कहाँ जाएगा, यह कोई नहीं जानता।
अगर गुरु की शरण नहीं लेगा, तो तू कभी सच्चा ज्ञान नहीं पा सकेगा।
🌸 4️⃣ "कौन तुम्हारा सच्चा साईं..."
यह संसार झूठे सुखों से भरा है।
सच्चा ठिकाना केवल उस परमात्मा के पास है — बाकी सब एक सपना है।
💧 5️⃣ "रहत माल कूप जो भरता..."
इंसान जीवन भर धन इकट्ठा करता रहता है, पर मरते वक्त सब यहीं छूट जाता है।
फिर भी वह अभिमान करता रहता है — यह माया का खेल है।
🕉️ 6️⃣ "लख चौरासी भोगे तासा..."
आत्मा ने जन्मों-जन्मों के चक्र में सब कुछ भोग लिया है,
अब समय है गुरु का नाम लेकर परमात्मा से मिलने का।
यही जीवन का सार है — सत्संग, गुरु और नाम-सुमिरन।
🌼 सार:
कबीर जी का यह भजन जीवन का सच्चा संदेश देता है —
“नेकी कर, नाम जप और अहंकार छोड़, क्योंकि यह संसार अस्थायी है।”
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