खुद को माफ करना सीखो, जो हो गया उसकी चिंता छोड़ दो ! Premanand Maharaj Ji
Автор: साधना पाठ
Загружено: 2025-01-25
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स्वयं को माफ़ करना और जो हो गया उसे भूल जाना, ये दोनों ही बातें आध्यात्मिक प्रगति और मानसिक शांति के लिए बहुत ज़रूरी हैं। श्री हित प्रेमानंद जी महाराज के प्रवचन इसी बात पर जोर देते हैं। उनका मुख्य संदेश यह है कि जब आप पूरी तरह से प्रभु पर आश्रित हो जाते हैं, तो आपकी पिछली गलतियाँ और अपराधबोध का बोझ अपने आप कम हो जाता है।
प्रेमानंद जी के उपदेशों के अनुसार, आप खुद को माफ़ करना और अतीत को भूलना कैसे सीख सकते हैं:
1. पछतावा छोड़कर भगवान से क्षमा मांगें
अपराधबोध का त्याग करें: जब आप किसी गलती के बारे में लगातार सोचते रहते हैं, तो आप खुद को दंडित करते रहते हैं। महाराज जी कहते हैं कि अपने पापों के लिए पछतावे के साथ भगवान से क्षमा मांगें और फिर उस बात को भूल जाएँ।
आत्मसमर्पण करें: यदि आपने अतीत में कोई गलती की है, तो भगवान से क्षमा मांगें और खुद को पूरी तरह उनके चरणों में समर्पित कर दें। उनका मानना है कि भगवान हमें माफ़ करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं, बस हमें विनम्रता से उनके पास जाना चाहिए।
2. अहंकार का त्याग करें
विनम्रता अपनाएं: अहंकार हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हम अपनी गलतियों से बेहतर हैं। यह हमें अपनी ग़लतियाँ स्वीकार करने और माफ़ी मांगने से रोकता है।
अहंकार से दूरी: जब आप अहंकार छोड़ देते हैं, तो आप अपनी गलतियों को स्वीकार करने के लिए तैयार हो जाते हैं और आत्म-करुणा के साथ आगे बढ़ते हैं।
3. वर्तमान पर ध्यान दें
अतीत को जानें दें: अतीत को लगातार याद करने से वर्तमान में दुख और अशांति बनी रहती है। आप जो कुछ भी कर सकते थे, वह कर चुके हैं। अब उस पर ध्यान देने के बजाय, भविष्य में बेहतर बनने पर ध्यान दें।
नाम जप में लगे रहें: वर्तमान में पूरी लगन के साथ नाम जप और सत्संग में लगे रहना सबसे अच्छा तरीका है। ऐसा करने से मन को शांति मिलती है और अतीत की यादें धीरे-धीरे धुंधली हो जाती हैं।
4. कर्मों का फल स्वीकार करें
नतीजों से सीखें: यदि आपने कोई गलती की है, तो उसके नतीजों को स्वीकार करें। हर गलती एक सबक होती है।
आगे बढ़ें: प्रेमानंद जी सिखाते हैं कि हमें अपनी पिछली गलतियों को सीखने के अनुभव के रूप में देखना चाहिए। यह हमें भविष्य में और अधिक विवेकपूर्ण निर्णय लेने में मदद करता है।
5. खुद को इंसान मानें
ग़लतियाँ स्वाभाविक हैं: यह स्वीकार करें कि इंसान होने के नाते ग़लतियाँ करना स्वाभाविक है। कोई भी पूर्ण नहीं होता है।
खुद पर दया करें: खुद को दया और करुणा के साथ देखें, ठीक उसी तरह जैसे आप किसी और को ग़लती करने पर देखते हैं।
इन तरीकों को अपनाकर आप धीरे-धीरे खुद को माफ़ करना सीख सकते हैं और जो हो गया है, उसकी चिंता से मुक्त होकर शांतिपूर्ण जीवन जी सकते हैं।
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