Mahakumbh Prayagraj Vlog | महाकुंभ |
Автор: Punit Prajapati Vlogs
Загружено: 2025-02-20
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महाकुंभ मेला एक बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है जो हर 12 साल पर लगता है। इस बार महाकुंभ प्रयागराज में लगा है जिसकी शुरुआत 13 जनवरी 2025 से हो चुकी है, जिसका समापन 26 फरवरी 2025 को होगा। इस मेले का आयोजन खासतौर पर चार पवित्र स्थानों पर होता है – हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक।
महाकुंभ का महत्व
महाकुंभ में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं। इतना ही नहीं, कुंभ में स्नान करने से मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। इसके अलावा, कुंभ मेला आध्यात्मिक ज्ञान, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और सामाजिक समरसता का भी प्रतीक माना जाता है। लोग आध्यात्मिक ज्ञान और मानसिक शांति के लिए भी कुंभ मेला में आते हैं।
महाकुंभ की कहानी
महाकुंभ के पीछे की कहानी अमृत मंथन से जुड़ी है। माना जाता है कि जब देवता और असुर अमृत के लिए लड़ रहे थे, तो अमृत की कुछ बूंदें इन चार स्थानों पर गिरी थीं। इसलिए, इन स्थानों को पवित्र माना जाता है और यहीं पर कुंभ मेला का आयोजन किया जाता है।
कुंभ मेला और महाकुंभ में अंतर
कुंभ मेला हर 3 साल में मनाया जाता है और यह चार स्थानों पर बारी-बारी से आयोजित किया जाता है। जबकि महाकुंभ मेला हर 12 साल में एक बार आता है और यह केवल प्रयागराज में ही आयोजित किया जाता है। महाकुंभ को सभी कुंभ मेलों में सबसे पवित्र माना जाता है।
साधु-संन्यासियों के लिए महाकुंभ का महत्व
महाकुंभ साधु-संन्यासियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। शास्त्रों के अनुसार, महाकुंभ में स्नान करने से 1000 अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है। साधु-संत इस समय प्रभु का ध्यान करते हैं और अपने मोक्ष के लिए महाकुंभ में स्नान करने जाते हैं।
महाकुंभ मेला: कुछ और बातें
महाकुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है।
इस मेले में लाखों-करोड़ों श्रद्धालु आते हैं।
महाकुंभ मेला 48 दिनों तक चलता है।
इस मेले में कई सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते
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