निर्वाणषटकम् | मृत्युंजय हिरेमठ | चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् | NirvanaShatakam | Mritunjay Hiremath
Автор: Darshan-दर्शन
Загружено: 2020-09-21
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🙏हिमालये तू केदारं तं नमामि🙏
सुनिए मंत्रमुग्ध कर देने वाला
॥ निर्वाणषट्कम स्तोत्रम् ॥
स्वर - परम शैव पं. मृत्युंजय हिरेमठ जी केदारनाथ धाम
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॥ निर्वाणषटकम् ॥
मनो बुद्ध्यहंकारचित्तानि नाहम् न च श्रोत्र जिह्वे न च घ्राण नेत्रे
न च व्योम भूमिर् न तेजॊ न वायु: चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवॊऽहम् ॥
न च प्राण संज्ञो न वै पञ्चवायु: न वा सप्तधातुर् न वा पञ्चकोश:
न वाक्पाणिपादौ न चोपस्थपायू चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवॊऽहम् ॥
न मे द्वेष रागौ न मे लोभ मोहौ मदो नैव मे नैव मात्सर्य भाव:
न धर्मो न चार्थो न कामो ना मोक्ष: चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवॊऽहम् ॥
न पुण्यं न पापं न सौख्यं न दु:खम् न मन्त्रो न तीर्थं न वेदा: न यज्ञा:
अहं भोजनं नैव भोज्यं न भोक्ता चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवॊऽहम् ॥
न मृत्युर् न शंका न मे जातिभेद: पिता नैव मे नैव माता न जन्म
न बन्धुर् न मित्रं गुरुर्नैव शिष्य: चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवॊऽहम् ॥
अहं निर्विकल्पॊ निराकार रूपॊ विभुत्वाच्च सर्वत्र सर्वेन्द्रियाणाम्
न चासंगतं नैव मुक्तिर् न मेय: चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवॊऽहम् ॥
कृतेना अनीनां अद्यदिने शिवअस्तु कृपाधाखेना कर्मणा कर्मणा धीश्त्वद भवानी शंकर महारुद्र
महामृतुंजय श्रीभगवत्तीदारी ईश्वर चरणा रबिदंमम्
प्रीयताम नममः
श्री शाष्टांग शिवार्पणमस्तु शिवागईदम् नममः
श्री शाष्टांग जगदंम्बाअर्पण मस्तु।
अंम्बाप्रियताम् नममः
हरहॐ तत्सत हरह ॐ तत्सत हरह ॐ तत्सत।
बोलो केदारेश्वर महराज की जय
श्रीश्री अंम्बेमातु की जय
सत्यसनातन बैदिकधर्म की जय
ओम नमः पार्वतीपतये
शिव हर हर हर महादेव शंभु।
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