Aarti Maa Tripura sundari Mataji By Rajeev Pandya
Автор: Dr.Rajeev Pandya
Загружено: 2021-10-03
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राजस्थान में बांसवाड़ा से लगभग 14 किलोमीटर दूर तलवाड़ा ग्राम से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर ऊंची रौल श्रृखलाओं के नीचे सघन हरियाली की गोद में उमराई के छोटे से ग्राम में माताबाढ़ी में प्रतिष्ठित है मां त्रिपुरा सुंदरी। कहा जाता है कि मंदिर के आस-पास पहले कभी तीन दुर्ग थे। शक्तिपुरी, शिवपुरी तथा विष्णुपुरी नामक इन तीन पुरियों में स्थित होने के कारण देवी का नाम त्रिपुरा सुन्दरी पड़ा।
कहा जाता है कि मालव नरेश जगदेश परमार ने तो मां के श्री चरणों में अपना शीश ही काट कर अर्पित कर दिया था। उसी समय राजा सिद्धराज की प्रार्थना पर मां ने पुत्रवत जगदेव को पुनर्जीवित कर दिया था।
"निष्प्राण में फूंके प्राण, पीड़ितों का करे परित्राण
सन् 1982 में खुदाई के दौरान यहां शिव पार्वती की मूर्ति निकली थी, जिसके दोनों तरफ रिद्धि-सिद्धि सहित गणेश व कार्तिकेय भी हैं। प्रचलित पौराणिक कथानुसार दक्ष-यज्ञ तहस-नहस हो जाने के बाद शिवजी सती की मृत देह कंधे पर रख कर झमने लगे। तब भगवान विष्णु ने सृष्टि को प्रलय से बचाने के लिए योगमाया के सुदर्शन चक्र की सहयता से सती के शरीर को खण्ड-खण्ड कर भूतल पर गिराना आरम्भ किया। उस समय जिन-जिन स्थानों पर सती के अंक गिरे, वे सभी स्थल शक्तिपीठ बन गए। ऐसे शक्तिपीठ 51 हैं और उन्हीं में से एक शक्तिपीठ है त्रिपुरा सुंदरी।
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