भूलकर जाति के बंधन को...
Автор: BHIMtv
Загружено: 2024-12-12
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मानव हैं , हम मानव हैं … मन से, कर्म-वचन से. हमको मानव धर्म निभाना है ।।
हो कृत्य मानवी, कर्म मानवी,. ध्येय मानवी, धर्म मानवी,. पंथ मानवी, लक्ष्य मानवी,
'सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय।।
दरअसल जाति निकल कर आयी है वर्ण से। और वर्ण क्या होता है इसे समझ लेंगे तो तथाकथित जातिवाद का भेदभाव मिट जायेगा। वर्ण का अर्थ होता है रंग।
जातिवाद के विकास मे वोट की राजनीति भी जातिवाद के विकास का एक महत्वपूर्ण कारण है। प्रजातंत्र मे वोट का महत्व है। अतः चुनाव जीतने के लिये जाति का सहारा लिया जा रहा है। जिस क्षेत्र मे जिस जाति की बहुलता है, उस जाति के सदस्य को चुनाव मे टिकट आसानी से मिल जाता है। जातीय भावनाओं को उभारकर जो व्यक्ति चुनाव जीतता है, वह बाद मे अपनी जाति की उन्नति के बारे मे सोचता और कार्य करता है।
भारतीय संविधान के रचयिता डॉ. भीमराव आम्बेडकर का सपना था कि भारत जाति-मुक्त हो, औद्योगिक राष्ट्र बने, सदैव लोकतांत्रिक बना रहे। लोग आम्बेडकर को एक दलित नेता के रूप में जानते हैं। जबकि उन्होंने बचपन से ही जाति प्रथा का खुलकर विरोध किया था। उन्होंने जातिवाद से मुक्त आर्थिक दृष्टि से सुदृढ़ भारत का सपना देखा था। मगर देश की गन्दी राजनीति ने उन्हें सर्वसमाज के नेता के बजाय दलित समाज के नेता के रूप में स्थापित कर दिया। डॉ.आम्बेडकर का एक और सपना था कि दलित धनवान बनें। वे हमेशा नौकरी मांगने वाले ही न बने रहें अपितु नौकरी देने वाले भी बनें।
सर्व समाज के सम्मान में बहन जी मैदान में 🎉
बाबा साहब अमर रहें 🎉🎉🎉मान्यवर कांशीराम साहब अमर रहें 🎉🎉🎉
बहन कु मायावती जी जिन्दाबाद🎉🎉🎉 आकाश आनंद जी जिन्दाबाद
बहुजन समाज पार्टी जिन्दाबाद 🎉🎉🎉
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