सुबह की प्रार्थना के १२ श्लोक - 12 Slokas of Morning Prayer। Subah Ki Prathna | Bhakti Song
Автор: Nova Spiritual India
Загружено: 2025-03-01
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सुबह की प्रार्थना के १२ श्लोक - 12 Slokas of Morning Prayer। Subah Ki Prathna | Bhakti Song
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Credits:
Title: Subah Ki Prathna Ke 12 Shlok
Singer: Brahmins
Music Director: Subhash Jena
Edit & Gfx: Mind Pro
Music Label: Music Nova
Song Listing:
00:00 - Intro
00:12 - शुभं करोति कल्याणम
01:39 - वक्रतुण्ड महाकाय
02:38 - गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु
03:23 - कृष्णाय वासुदेवाय देवकी नन्दनाय च
04:13 - शुक्लाम्बरधरं विष्णुं
05:04 - पद्मासन स्थिते देवी
05:50 - सर्वमंगल मांगल्ये
06:35 - या देवी सर्वभूतेषु
07:22 - मनोजवं मारुततुल्यवेगमं
08:15 - त्वमेव माता च पिता त्वमेव
09:03 - ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी
09:53 - सर्वेषां स्वस्ति भवतु
Lyrics & Meaning:
1) शुभं करोति कल्याणम
शुभं करोति कल्याणम आरोग्यं सुखसंपदा
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योति र्नमोऽस्तुते
अर्थ: में दीपक के प्रकाश को प्रणाम करता हूँ, जो शुभता, स्वास्थ्य और समृद्धि लाता है, जो अनैतिक भावनाओं को नष्ट करता है, बारबार दीपक के प्रकाश को प्रणाम करता हूँ।
2) वक्रतुण्ड महाकाय
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभा
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा
अर्थ: घुमावदार सूंड वाले, विशाल शरीर काय, करोड़ सूर्य के समान महान प्रतिभाशाली। मेरे प्रभु, हमेशा मेरे सारे कार्य बिना विघ्न के पूरे करें (करने की कृपा करें)।
3) गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु
गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरः
गुरुः साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः
अर्थ: गुरु को ब्रह्मा कहा गया है क्योंकि वह शिष्य को सगुण और ज्ञान देते हैं गुरु को विष्णु कहा गया है क्योंकि वे शिष्य की सभी शंकाओं को दूर करके ज्ञानर्चर स्थिति में स्थित होने में मदद करते हैं। गुरु को महेश्वर कहा गया है क्यांकि वह शिष्य के अज्ञान को नष्ट करके अवगुण दूर करते हैं. ऐसा गुरु सत्य परब्रह्म अर्थात् ईश्वर हैं। ऐसे गुरु को प्रणाम करने का भाव इस लोक में है।।
4) कृष्णाय वासुदेवाय देवकी नन्दनाय च
कृष्णाय वासुदेवाय देवकी नन्दनाय च
नन्दगोप कुमाराय गोविन्दाय नमो नमः
अर्थ: श्रीकृष्ण को नमस्कार जो वासुदेव के पुत्र हैं और माता देवकी के लाडले हैं। उन्हें नमस्कार जो नंद के बालक है और जो स्वयं भगवान गोविंदा हैं उन्हें हम बार-बार नमस्कार करते हैं।
5) शुक्लाम्बरधरं विष्णुं
शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजम् प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये
अर्थ: हम भगवान श्री विष्णु का ध्यान करते हैं। जिन्होंने सफ़ेद वस्त्र धारण किये हुए हैं। जो सर्वव्यापी है, चन्द्रमा की भांति वह प्रकाशवान और चमकीले हैं। वह जिनके चार हाथ और चेहरा सदा करुणा से भरा हुआ और तेजमय है, आओं हम भगवान विष्णु जी का ध्यान करें जो समस्त बाधाओं से हमारी रक्षा करते हैं।
6) पद्मासन स्थिते देवी
पद्मासन स्थिते देवी परब्रह्म स्वरूपिणी! 
परमेशी जगत माता महालक्ष्मी नमोस्तुते
अर्थ: जो देवी मां कमल के आसन पर विराजमान हैं। जो देवी माँ ब्रह्म स्वरूप है। वह महा देवी पुरे जगत की माता महलक्ष्मी को मेरा नमस्कार
7) सर्वमंगल मांगल्ये
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते
अर्थ: सब प्रकार के मंगल करने वाली माता आप कल्याणकारी एवम सब मनोरथों को पूरा करने वाली हो, हे माँ गौरी आप शरण ग्रहण करने योग्य एक्म त्रिकालदर्शी हो, हे नारायणी आपको नमस्कार है
8) या देवी सर्वभूतेषु
या देवी सर्वभूतेषु मातृ-रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
अर्थ: जो देवी सभी प्राणियों में माता के रूप में स्थित हैं, उनको नमस्कार, नमस्कार, बारंबार नमस्कार है ॥
9) मनोजवं मारुततुल्यवेगमं
मनोजवं मारुततुल्यवेगमं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये
अर्थ: मन-जैसी स्फूर्ति और वायु-जैसे वेग वाले, परम बुद्धिमान, इन्द्रियनिग्रही, वानरपति, वायुपुत्र भगवान श्री राम के दूत हनुमान जी की में शरण लेता हूं
10) त्वमेव माता च पिता त्वमेव
त्वमेव माता च पिता त्वमेव
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेवा
त्वमेव विद्या च द्रविणं त्वमेव
त्वमेव सर्वम् मम देवदेवं
11) ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी
ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी भानुः शशी भूमिसुतो बुधश्चा गुरुभ शुक्रः शनिराहुकेतवः कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम्
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