सक्कपण्ह सुत्त: हम शांति चाहते हैं, फिर भी लड़ते क्यों हैं?
Автор: Jitendra Singh Jat 3.3M
Загружено: 2025-12-19
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सक्कपण्ह सुत्त: हम शांति चाहते हैं, फिर भी लड़ते क्यों हैं?
नमो बुद्धाय। आज के इस वीडियो/पॉडकास्ट में हम दीघ निकाय (Digha Nikaya) के 21वें सुत्त, 'सक्कपण्ह सुत्त' (Sakkapañha Sutta) पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
क्या आपने कभी सोचा है कि इंसान शांति की बात तो करता है, लेकिन फिर भी युद्ध, नफरत और झगड़ों में क्यों फंसा रहता है? यही सवाल देवताओं के राजा, शक्र (इंद्र) ने भगवान बुद्ध से पूछा था।
इस सत्र में आप जानेंगे:
संघर्ष की असली जड़: बुद्ध ने ईर्ष्या (Issa) और स्वार्थ (Macchariya) को दुखों का मूल कारण क्यों बताया?
मानसिक प्रपंच (Papancha): हमारा दिमाग छोटी सी बात का बतंगड़ कैसे बनाता है और इससे कैसे बचें?
भावनाओं का प्रबंधन: अपनी सुखद, दुखद और तटस्थ भावनाओं को बुद्ध के बताए तरीके से कैसे समझें?
आधुनिक उदाहरण: आज के समय में ऑफिस, परिवार और पड़ोसियों के बीच होने वाले तनाव को इस सुत्त के जरिए कैसे हल करें?
यह सुत्त न केवल एक धार्मिक संवाद है, बल्कि एक गहरा मनोवैज्ञानिक विश्लेषण है जो हमें मानसिक स्पष्टता और शांति की ओर ले जाता है।
मुख्य बिंदु (Timestamps): 00:00 - परिचय (Introduction) 03:00 - देवराज शक्र और बुद्ध की मुलाकात 07:15 - दुनिया में झगड़े क्यों होते हैं? (ईर्ष्या और स्वार्थ) 12:30 - विचारों का जाल: मानसिक प्रपंच (Papancha) क्या है? 16:45 - भावनाओं पर नियंत्रण पाने का बुद्ध मार्ग 22:00 - शक्र का रूपांतरण और जीवन के लिए सीख 24:00 - निष्कर्ष और मंगल कामना
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By: Jitendra Singh Jat
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