"प्रार्थना में ये शब्द कभी न बोलें, वरना चमत्कार रुक जाएँगे!
Автор: YeshuVichar
Загружено: 2025-07-13
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प्रार्थना में ये शब्द कभी न बोलें, वरना चमत्कार रुक जाएँगे!
क्या आपकी प्रार्थनाएँ स्वर्ग तक नहीं पहुँच रही? क्या आपकी पुकारें अनसुनी लगती हैं? इस कुछ मिनट के शक्तिशाली वीडियो में, हम खोलते हैं प्रार्थना की सच्ची शक्ति के राज़! जानें कि वो कौन से शब्द हैं, जिन्हें प्रार्थना में कभी नहीं बोलना चाहिए, और कैसे आप अपनी प्रार्थनाओं को इतना प्रभावशाली बना सकते हैं कि वो पहाड़ों को हिला दें।
इस वीडियो में आप सीखेंगे:
प्रार्थना में डर और शंका के शब्दों से कैसे बचें।
परमेश्वर के वचन पर आधारित प्रार्थना कैसे करें।
सच्ची कहानियाँ जो प्रार्थना की शक्ति को दर्शाती हैं।
अपनी प्रार्थनाओं को गहरा और आग की तरह बनाने के 5 व्यावहारिक तरीके।
📌 चुनौती: आज रात प्रार्थना करें, परमेश्वर की महिमा से शुरू करें, उनके वचन को बोलें, और धन्यवाद के साथ समाप्त करें। कमेंट में “मैं तैयार हूँ” लिखें अगर आप इस चुनौती को स्वीकार करते हैं!
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📌 यहाँ इस वीडियो में बताए गए सभी बाइबल वचनों की सूची दी गई है, ताकि आप इन्हें पढ़ सकें और अपनी प्रार्थनाओं में उपयोग कर सकें:
नीतिवचन 18:21 - “जीवन और मृत्यु जीभ के वश में हैं।”
मरकुस 9:22-23 - “यदि आप कुछ कर सकते हैं, तो हमारी सहायता करें।” यीशु ने कहा, “यदि तू विश्वास करे, तो सब कुछ संभव है।”
इब्रानियों 11:6 - “विश्वास के बिना परमेश्वर को प्रसन्न करना असंभव है।”
लूका 11:11-13 - “कौन सा पिता अपने बच्चे को मछली माँगने पर साँप देगा?”
इफिसियों 2:8 - “क्योंकि तुम अनुग्रह से विश्वास के द्वारा उद्धार पाए हो, और यह तुम्हारी ओर से नहीं, यह परमेश्वर का दान है।”
भजन 34:17 - “धर्मी पुकारते हैं, और परमेश्वर उनकी सुनता है।”
मत्ती 6:9 - “हे हमारे पिता, जो स्वर्ग में है, तेरा नाम पवित्र माना जाए।”
यूहन्ना 15:7 - “यदि तुम मुझ में बने रहो, और मेरे वचन तुम में बने रहें, तो जो चाहो माँगो, और वह तुम्हारे लिए हो जाएगा।”
याकूब 5:16 - “धर्मी की प्रबल प्रार्थना बहुत प्रभावशाली होती है।”
दानिय्येल 10:12 - “पहले दिन से ही तुम्हारी प्रार्थना सुनी गई थी।”
भजन 51:17 - “परमेश्वर का बलिदान टूटी हुई आत्मा है; हे परमेश्वर, टूटे और पश्चातापी हृदय को तू तुच्छ नहीं जानता।”
रोमियों 8:26 - “इसी प्रकार आत्मा भी हमारी दुर्बलता में सहायता करता है; क्योंकि हम नहीं जानते कि प्रार्थना किस रीति से करनी चाहिए, परन्तु आत्मा आप ही ऐसी आहें भरता है, जो वर्णन से बाहर हैं।”
फिलिप्पियों 4:6 - “किसी बात की चिन्ता न करो, परन्तु हर बात में प्रार्थना और विनती के द्वारा धन्यवाद के साथ अपनी बिनतियाँ परमेश्वर के सामने रखो।”
लूका 18:7 - “क्या परमेश्वर अपने चुने हुओं को, जो दिन-रात उसकी दुहाई देते हैं, न्याय न देगा?”
भजन 46:10 - “शान्त हो, और जान लो कि मैं परमेश्वर हूँ।”
इन वचनों को अपनी प्रार्थनाओं में शामिल करें और देखें कि परमेश्वर कैसे आपके जीवन में काम करता है!
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