चलते हैं बाबा आनन्देश्वर मन्दिर कानपुर
Автор: Suchi Gupta
Загружено: 2023-09-17
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महाभारत काल के पहले का है। गंगा किनारे करीब तीन एकड़ में बना है यह मंदिर। प्राचीन समय में यहां पर एक विशाल टीला हुआ करता था। जिसके आस-पास उस समय के एक राजा की कई गाएं चरने के लिए आती थी। उन्ही गायों में से एक गाय थी आनन्दी गाय। जो उस टीले पर जाकर बैठती थी और जब वहां से चलने लगाती थी तब वह अपना सारा दूध उस टीले पर ही देती थी। - जब राजा को इसके विषय में पता चला तो वह कई दिनों तक इसे देखता रहा, एकदिन राजा ने गाय के खुद ब खुद दूध बहा देने का रहस्य जानने के लिए टीले की खुदाई करवाई। कहते हैं दो दिन की खुदाई के बाद उस टीले से एक शिवलिंग निकला, भोलेनाथ का शिवलिंग देख राजा ने उस शिवलिंग की स्थापना वहाँ करवाकर रुद्राभिषेक करवाया। - वहाँ शिवलिंग मिलने के बाद उस गाय ने भी वहां अपना दूध बहाना बंद कर दिया। ऐसे में उस गाय के नाम पर यहां मिले भोलेनाथ का नाम आनंदेश्वर रखा गया।"
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