मुण्डेश्वरी माता मंदिरmundeshwari temple in Bihar kaimur
Автор: Kanchan Kumari
Загружено: 2025-12-18
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मुण्डेश्वरी माता मंदिर बिहार के कैमूर जिले के भभुआ में स्थित है। यह न केवल भारत का, बल्कि दुनिया के सबसे पुराने कार्यात्मक (जहाँ अभी भी पूजा होती है) मंदिरों में से एक माना जाता है।
यहाँ इस मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें दी गई हैं:
1. ऐतिहासिक महत्व
प्राचीनता: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अनुसार, इस मंदिर के शिलालेख 108 ईस्वी के हैं। इसका मतलब है कि यहाँ लगभग 1900 से अधिक वर्षों से लगातार पूजा हो रही है।
वास्तुकला: यह मंदिर अष्टकोणीय (Octagonal) आकार में बना है, जो पत्थर की नक्काशी का एक अद्भुत नमूना है। यह मंदिर नागर शैली की वास्तुकला का प्रारंभिक उदाहरण है।
2. मुख्य देवता
मंदिर के केंद्र में भगवान शिव का एक चतुर्मुखी शिवलिंग (चार मुखों वाला) स्थापित है।
मुख्य गर्भगृह में माता मुण्डेश्वरी की प्रतिमा है, जो वाराही देवी का स्वरूप मानी जाती हैं।
3. अद्भुत "रक्तहीन बलि" की परंपरा
यहाँ की सबसे अनोखी बात यहाँ की बलि प्रथा है। भक्त यहाँ मन्नत पूरी होने पर बकरे की बलि चढ़ाते हैं, लेकिन बकरे को मारा नहीं जाता:
बकरे को माता की मूर्ति के सामने लाया जाता है।
पुजारी द्वारा मंत्रोचार कर मूर्ति पर चावल फेंके जाते हैं, जिससे बकरा अचानक बेहोश हो जाता है।
कुछ समय बाद पुनः मंत्र पढ़कर उसे जागृत किया जाता है और बकरे को जीवित छोड़ दिया जाता है। इसे ही "सात्विक बलि" कहा जाता है।
4. दर्शन और यात्रा की जानकारी
स्थान: यह कैमूर पहाड़ियों पर लगभग 600 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। ऊपर जाने के लिए सीढ़ियाँ और पक्की सड़क दोनों उपलब्ध हैं।
समय: मंदिर सुबह 6:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक खुला रहता है।
कैसे पहुँचें: नजदीकी रेलवे स्टेशन भभुआ रोड (मोहनिया) है। यहाँ से आप टैक्सी या बस द्वारा आसानी से पहुँच सकते हैं।
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