| क्या निकुंज में जाने के बाद गौलोक जाए सकते है |
Автор: Goverdhan Kripa
Загружено: 2022-09-15
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हाराज जी ने प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से अपने जीवन में ग्यारह संतों का संग किया व इन सब संतों को आप आज भी अपने गुरु रूप में स्वीकार करते हैं। पू. स्वामी श्रीकृष्णानंद जी महाराज ;वृन्दावनद्ध, पू. पंडित श्रीगयाप्रसाद जी ;गोवधर््नद्ध, पू. श्री इंजीनियर सरकार जी ;दरभंगा, बिहारद्ध, पू. ठाकुर श्रीघनश्यामदास जी ;वृन्दावनद्ध, पू. आचार्य चरण श्री श्रीजी महाराज ;सलेमाबाद, पुष्करद्ध व पू. श्री जगन्नाथ बाबा ;वृन्दावनद्ध का प्रत्यक्ष सत्संग व कृपा प्राप्त की तथा भाई श्री हनुमानप्रसाद पोद्दार जी ;गोरखपुरद्ध, पू. श्री राध बाबा ;गोरखपुरद्ध, पू. श्रीजयदयाल गोयन्दका जी ;गोरखपुरद्ध, पू. श्रीबालकृष्णदास जी महाराज ;वृन्दावनद्ध का अप्रत्यक्ष सत्संग व कृपा प्राप्त की।
तीन वर्ष वृन्दावन, फिर बारह वर्ष तक श्रीधम बरसाना में निवास किया। बरसाना मान मन्दिर में गुफा कक्ष में तीन वर्ष तक साध्ना रत रहे। यहीं पर एक दिन भगवान् शिव ने स्वप्न में दर्शन देकर भगवान् श्रीकृष्ण के ऐश्वर्य रूप ;श्री विष्णुद्ध की शरणागति कराई व कुछ भविष्य की बातें भी बताई।
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