Moksharthi Pariwar

स्वयं ही स्वयं की शोध मे।।🧘‍♂️
भगवान ,परमेश्वर , गुरु सब मै स्वयं हु।।
भगवान और मेरे मे अंतर नही।।
अंतर माना है इसलिए अंतर मिट नही रहा है।।
वितरागी, सर्वज्ञ, हितोपदेशी सच्चे देव की पहचान।।
निर्ग्रंथ गुरु सच्चे गुरु।। तिलतुष् परिग्रह रहित।।
वितरागता की पोषक सच्ची जिनवानी ।।👍🏻
आँख बंद किया तो अंधेरा दिखा वो देखने वाले की सत्ता ही मै हु।।अपनी निधि को पहचान।। द्रव्य गुण पर्याय से अपने को समझ 🙏🏻🛐🧘‍♂️