Bhool Na Payenge Hum Unki Nazron ke Mykhane ko | New Hindi Song 2025 | Samod Commando | Vinod
Автор: Commando Kavy Darpan
Загружено: 2025-12-19
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Teri Marzi Saaki Bhar De | New Hindi Sad Song 2025 | Samod Commando | Vinod Chaudhary
भूल न पाएंगे हम उनकी नजरों के मयखाने को | Heart Touching Ghazal | Commando Kavy Darpan
तेरी मर्जी साकी भर दे | Latest Hindi Song | Samod Commando Poetry | Official Video
नजरों के मयखाने (Nazron Ke Maikhane) | New Song by Samod Commando & Vinod Chaudhary
पेश है "कमांडो काव्य दर्पण" पर एक नई दिल को छू लेने वाली रचना। "तेरी मर्जी साकी भर दे" एक ऐसी गज़ल है जो टूटे हुए दिल, यादों और मोहब्बत के नशे को बयां करती है। समोद कमांडो की कलम और विनोद चौधरी के संगीत ने इस गीत में जान फूंक दी है।
🎵 Song Credits:
Lyrics (Writer): Samod Commando (समोद कमांडो)
Music & Composition: Vinod Chaudhary (विनोद चौधरी)
Label/Channel: Commando Kavy Darpan
तेरी मर्जी, साकी भर दे, जितना भी पैमाने को !
भूल न पाएंगे, हम उनकी, नजरों के मयखाने को !!
तेरी मर्जी साकी भर दे जितना भी पैमाने को !
भूल न पाएंगे हम उनकी नजरों के मयखाने को !!
जब से दिल का कत्ल हुआ है, दिल के कातिल होठों पर !
जब से दिल का कत्ल हुआ है, दिल के कातिल होठों पर !
भोली सी मुस्कान को लेकर, आये हैं समझाने को !!
भूल न पाएंगे हम उनकी नजरों के मयखाने को !!
तेरी मर्जी साकी भर दे जितना भी पैमाने को !
उनके प्यार भरे लहजे से कुछ हिम्मत मिल जाती है !
उनके प्यार भरे लहजे से कुछ हिम्मत मिल जाती है !
मेरे पास नहीं है कोई अपना हाल बताने को ।।
भूल न पाएंगे हम उनकी नजरों के मयखाने को !!
तेरी मर्जी साकी भर दे जितना भी पैमाने को !
मुद्दत से मैं जाग रहा हूँ, सपनों की चादर लेकर ।
मुद्दत से मैं जाग रहा हूँ, सपनों की चादर लेकर ।
उनका इक मैसेज काफी है चैन की नींद सुलाने को ।।
भूल न पाएंगे हम उनकी नजरों के मयखाने को !!
तेरी मर्जी साकी भर दे जितना भी पैमाने को !
साकी तेरे आंगन में भी, मन का साज नहीं बजता ।
साकी तेरे आंगन में भी, मन का साज नहीं बजता ।
तेरा ये मयखाना कम है, उनका प्यार भुलाने को ।।
भूल न पाएंगे हम उनकी नजरों के मयखाने को !!
तेरी मर्जी साकी भर दे जितना भी पैमाने को !
शम्मा के रोशन होते ही, प्यार मचलने लगता है,
शम्मा के रोशन होते ही, प्यार मचलने लगता है,
हमने रोज तड़फते देखा है पागल परवाने को ।।
भूल न पाएंगे हम उनकी नजरों के मयखाने को !!
तेरी मर्जी साकी भर दे जितना भी पैमाने को !
हमने रोज 'चरौरा' तुमको शाम सवेरे याद किया !
हमने रोज 'चरौरा' तुमको शाम सवेरे याद किया !
वक्त का जाना कह देते हैं, गाँव से तेरे जाने को !!
भूल न पाएंगे हम उनकी नजरों के मयखाने को !!
तेरी मर्जी साकी भर दे जितना भी पैमाने को !
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