🔥 महादेव स्तुति महागीत – शब्दों का भव्य भक्ति स्तोत्र 🔥
Автор: Pankaj Mishra
Загружено: 2025-11-25
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प्रिय भक्तजनो, भगवान आप सभी पर अपनी कृपा सदैव बनाए रखें—मेरी यही हार्दिक कामना है।
प्रेम से बोलो: “जय महालाका!”
आपका अपना – पंकज मिश्रा
🌺 प्रस्तावना – शिव, जो शब्दों में नहीं समा सकते…
कहते हैं महादेव वह सन्नाटा हैं जिसमें पूरा ब्रह्मांड छिपा है,
वह नाद हैं जो डमरू से निकलकर सृष्टि रच देते हैं,
वह अग्नि हैं, वह जल हैं, वह वायु, आकाश – सब कुछ।
उनको गाना भी भक्ति है, उनके नाम को जपना भी मुक्ति है।
आज यही भावना लेकर यह महागीत प्रारंभ होता है—
जो सिर्फ गीत नहीं, एक यात्रा है…
कैलाश तक,
अंतर तक,
और शिवत्व तक।
⭐ अध्याय 1 – “ॐ नमः शिवाय” की गूंज से आरंभ
ॐ नमः शिवाय…
ॐ नमः शिवाय…
ॐ नमः शिवाय…
गुंजता है नभ,
थर्राती है धरती,
कंप उठता है समस्त ब्रह्मांड
और कैलाश के शिखरों पर
हिम-धूल उड़कर आकाश में एक रेखा खींच देती है—
“यहाँ स्वयं महादेव निवास करते हैं।”
डमरू उठता है…
एक ध्वनि गूंजती है…
💥 “टा-डम डम-डम डम-डम”
और उसी नाद से रची जाती है सृष्टि।
शिव त्रिलोचन, नीलकंठ, जग के पालनहार—
जब मुस्कुराते हैं तो समय थम जाता है,
जब क्रुद्ध होते हैं तो काल भी घबराता है।
⭐ अध्याय 2 – शिव का दिव्य स्वरूप
उनकी जटा में बहती गंगा की धारा—
जिससे पवित्र होते हैं तीनों लोक।
उनके कंठ में बसता हलाहल—
जो संसार बचाने के लिए उन्होंने पी लिया।
उनकी आँखों में बसती अनंत करुणा—
पर तीसरा नेत्र धारण करता है विनाश की ऊर्जा।
उनकी भस्म लिपटी देह,
उनके कंठ में सर्पों का आभूषण,
उनके हाथ में त्रिशूल का तेज,
और उनके पैरों की थाप में—
पूरा जग नाच उठता है।
⭐ अध्याय 3 – भक्त पुकारता है, भोलेनाथ उत्तर देते हैं
जब कोई भक्त कहता है—
“हर हर महादेव”
तो यह सिर्फ शब्द नहीं,
यह वह मार्ग है
जहाँ भय समाप्त होता है,
मोह टूटता है,
बंधन मिटते हैं
और आत्मा शिव से एकाकार हो जाती है।
भोलेनाथ इतने सरल, इतने दयालु—
कि एक लोटा जल से प्रसन्न हो जाएँ,
एक बिल्वपत्र स्वीकार कर लें,
और पूरी दुनिया बदल दें।
⭐ अध्याय 4 – शिवतांडव का महावर्णन
जब शिव तांडव उठता है—
तो गगन फटने लगता है,
धरा कांपने लगती है,
देव-दानव दोनों थर्राने लगते हैं।
उनके कदमों की थाप—
🔥 “धिन-धिन… धिन-धिन…”
और आकाश में उठती लपटें
उनकी जटाओं में उलझकर
ब्रह्मांड को नया रूप देती हैं।
उनके तांडव की हर गूँज एक मंत्र है—
जिससे काल भी भयभीत होकर कह उठता है,
“नाथ, मैं आपका दास हूँ!”
⭐ अध्याय 5 – शिव की महाकरुणा
वह भूतनाथ हैं,
पर सबसे दयालु देव भी वही हैं।
जब कोई दुख में पुकारता है—
“शंभो…”
तो वह कैलाश से उतरकर उसके जीवन का अंधेरा चीर देते हैं।
उनकी करुणा का यह बल है
कि मरणासन्न भी उनके नाम से जी उठे,
पापी भी पवित्र हो जाए।
माता पार्वती संग उनका प्रेम—
आधि से अनादि तक
हर भक्त को आश्रय देता है।
⭐ अध्याय 6 – भक्त की विनती
हे नाथ,
आपकी भक्ति में जो डूब गया
वह फिर दुनिया के भय से क्यों डरें?
आपका नाम ही
हमारा कवच है, हमारा रक्षक है।
आपकी छाया सिर पर रहे
तो जीवन आसान हो जाता है,
काँटे फूल बन जाते हैं
और अँधेरे उजाला बन जाते हैं।
हे शिव,
मेरी सांसों में बसो,
मेरे प्राणों में बसो,
मेरा हर क्षण आपका हो जाए—
बस यही विनती है।
⭐ अध्याय 7 – महाकाल का महाजागर
उज्जैन में,
घंटों के नाद में,
धूनी की अग्नि में,
आप विराजे हैं महाकाल होकर।
आप समय भी हैं,
और समय के swami भी।
जो आपके द्वार आता है
उसका भाग्य बदल जाता है।
⭐ अध्याय 8 – भक्त का ध्यान, शिव का ज्ञान
जब शिव का ध्यान लगता है—
तो भीतर की हजारों आवाजें शांत हो जाती हैं।
न कोई भय,
न कोई इच्छा,
न कोई माया—
सब दूर…
सिर्फ शिव, शिव, शिव…
और ध्यान में यही गूंजता है—
“मैं शिव का हूँ, शिव मेरे हैं।”
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