बजरँग बाण, Bajrang Baan
Автор: Pankaj Mishra
Загружено: 2025-11-25
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प्रिय भक्तजनो, भगवान आप सभी पर अपनी कृपा सदैव बनाए रखें—मेरी यही हार्दिक कामना है।
प्रेम से बोलो: “जय महालाका!”
आपका अपना – पंकज मिश्रा
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“श्री हनुमान जी की कृपा से… यह है अति शक्तिशाली बजरंग बाण,
संकट नाशक… शत्रु विनाशक… रक्षा कवच…”
🔶 दोहा (सरल और स्पष्ट उच्चारण)
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करै सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करै हनुमान॥
🔶 चौपाई (धीरे–धीरे बढ़ती शक्ति के साथ)
जय हनुमंत संत हितकारी।
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥
जन के काज विलंब न कीजै।
आतुर दौरि महा सुख दीजै॥
जैसे कूदि सिन्धु महिपाला।
सूरज नखत तिहारि लला॥
ऐसै ही अब संकट मोरी।
हरहु नाथ मम संकट भारी॥
जय जय जय हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई॥
🔶 बजरंग बाण मुख्य भाग (शक्तिशाली स्वर)
(आवाज़ में ऊर्जा बढ़ाएँ)
ॐ हनुमान ज्ञान गुन सागर।
ॐ हनुमान जयति बलभागर॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥
रामदूत अतुलित बलधामा।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा॥
हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजै।
काँधे मूँज जनेऊ साजै॥
शंकर सुवन केसरी नन्दन।
तेज प्रताप महा जग वन्दन॥
विद्यावान गुणी अति चातुर।
रामकाज करिबे को आतुर॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज सवारे॥
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं॥
🔶 समापन प्रार्थना (शांत और मधुर आवाज़)
हे बजरंगबली…
हे पवनपुत्र…
आपकी कृपा, आपकी शक्ति
हमारे जीवन से भय, रोग और बाधा हर ले।
हमें सद्बुद्धि दें…
हमें बल दें…
हमें विजय दें…
“जय श्री हनुमान… जय बजरंगबली…”
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