प्रयागराज का रहस्यमयी तथा चमत्कारी, सोमेश्वर महादेव मंदिर | उत्तरप्रदेश | 4K | दर्शन 🙏
Автор: Tilak
Загружено: 2023-04-23
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रिकॉर्डिंग: सूर्या राज कमल
लेखक: रमन द्विवेदी
भक्तों नमस्कार! प्रणाम! और हार्दिक अभिनन्दन! भक्तों संगम नगरी प्रयागराज से भी जटाधारी शिव का गहरा नाता है. सृष्टि की रचना के समय खुद ब्रह्मा ने प्रयागराज में दशश्वमेध स्वरुप में भगवान् शिव को स्थापित किया था. त्रेता युग में भगवान राम को सवा करोड़ शिवलिंग स्थापित करने के बाद ही रावन वध से लगी ब्रह्महत्या से मुक्ति मिली थी. भक्तों प्रयागराज के यमुना तट पर भगवान् शिव का हजारों वर्ष पुराना एक ऐसा दिव्य मंदिर है जिसकी स्थापना स्वयं चंद्रदेव ने की थी. जिनकी पूजा अर्चना से चंद्रदेव शापमुक्त हुए थे. भक्तों हम बात कर रहे हैं सोमेश्वर महादेव मंदिर की! जो प्रयागराज में स्थित है.
मंदिर के बारे में:
भक्तों सोमेश्वर महादेव मंदिर प्रयागराज में संगम के समीप अरैल क्षेत्र में स्थित है. ये मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक अनोखा मंदिर है. पौराणिक मान्यता है कि जब चंद्रदेव का श्राप दिया गया था और वे कुष्ठ रोग से ग्रसित हो गये थे, तब भोलेनाथ ने उन्हें इस रोग से मुक्ति का आशीर्वाद दिया था. चंद्रदेव द्वारा स्थापित इस मंदिर बारे में मान्यता है कि श्रावण यहाँ आकर पूजा अर्चना करनेवाले भक्तों को भगवान् भोलेनाथ ठीक वैसे ही सभी रोगों से मुक्त कर देते हैं जैसे चंद्रदेव को किये था. इसीलिए श्रावण मास में निरोगी काया की कामना लेकर बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां भगवान शिव की शरण में आते हैं.
पौराणिक कथा:
भक्तों पद्मपुराण की एक कथा के अनुसार - राजा दक्ष ने अपनी सत्ताइस पुत्रियों का विवाह, अतीव सुन्दर चंद्रदेव से किया था. लेकिन चन्द्रदेव अपनी सत्ताइस पत्नियों में सबसे अधिक प्रेम रोहिणी से करते थे. चंद्रदेव से उपेक्षित उनकी छब्बीस पत्नियां अपने पिता दक्ष प्रजापति से इस बात की शिकायत कर दी. दक्ष प्रजापति ने इस बात को लेकर बहुत समझाया कि “उनकी 27 पत्नियां हैं तो वह सभी के साथ रहें, सबको प्रसन्न रखें. लेकिन चंद्रदेव उनके समझाने पर कोई ध्यान ही नहीं देते. वो पूर्ववत छब्बीसों पत्नियों को ऊपेक्षित कर अपना ध्यान रोहिणी पर केन्द्रित रखा. अपने जामाता चंद्रदेव द्वारा अपनी आज्ञा की अवहेलना देख प्रजापति दक्ष क्रुद्ध होकर चंद्रदेव को श्राप दे दिया था. जिससे चंद्रदेव को कुष्ठ रोग हो गया. कुष्ठ रोग से ग्रस्त होने के बाद चंद्रदेव ने बहुत उपचार कराया किन्तु उन्हें कोई लाभ नहीं हो रहा था. तब देवताओं की सलाह पर चन्द्रदेव तीर्थराज प्रयागराज आए. और संगम के किनारे अरैल क्षेत्र के घने जंगल में भगवान् शिव का ज्योतिर्लिंग स्थापित कर भगवान शिव की आराधना की. चन्द्रदेव अर्थात चन्द्रमा की आराधना से भगवान् भोलेनाथ प्रसन्न होकर चंद्रदेव के समक्ष प्रकट हुए और चंद्रमा को कुष्ठरोग से मुक्त होने का आशीर्वाद देते हुए चंद्रदेव को सोलह कलाओं में परिपूर्ण होने का वरदान भी प्रदान कर दिए. तभी से चंद्रदेव अर्थात चंद्रमा घटते बढ़ते क्रम से एक महीने में सोलह कलाओं का प्रदर्शन करते हैं.
सोमेश्वर मंदिर का इतिहास:
भक्तों यो तो प्रयागराज का सोमेश्वर मंदिर प्राचीनतम पौराणिक मंदिर है जिसकी स्थापना स्वयं चंद्रदेव ने की थी. कहा जाता है कि अपने वनवास काल में भगवान् राम स्वयं अपनी अर्ध्न्गिनी सीता जी और अनुज लक्ष्मण के साथ आये थे और तीर्थराज प्रयाग के सोमतीर्थ क्षेत्र स्थित, सोमेश्वर महादेव की पूजा अर्चना कर, आगे की यात्रा की थी. कालांतर इसका पुनर्निर्माण मराठा छत्रप श्रीमान बाजीराव पेशवा जी द्वारा करवाया गया. अतः इस मंदिर में प्रतिष्ठित कुछ मूर्तियां भी उसी समयावधि यानि १७वीं या 18वीं सदी की मानी जाती हैं।
औरंगजेब को मिली थी मात:
भक्तों ये तो सर्वविदित है कि क्रूर मुग़ल लुटेरों, आततायियों और शासकों ने सनातन संस्कृति को नष्ट करने के उद्देश्य से, अनगिनत मंदिर तोड़े, मठ उजाड़े, गुरुकुल-विद्यामंदिर नष्ट किये, तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्वविद्यालय और पुस्तकालय जलाए, रियासते और रजवाड़े लूटने जैसे कुकृत्य किये हैं. अपने दुष्ट पुरखों के पदचिन्हों पर चलते हुए क्रूरता का पर्याय बना औरंगजेब बचे मठ और मंदिरों उजाड़ने में लगा हुआ था. हजारों मंदिरों को तोड़ने के पश्चत उसकी कुदृष्टि प्रयागराज के सोमेश्वर मंदिर पर पड़ी. उसने इस मंदिर को तोड़ने के उद्देश्य से आक्रमण करवा दिया. उसकी सेना मंदिर परिसर में प्रवेश करती उससे पहले ही चमत्कारिक रूप से अचानक मधुमक्खियों का झुंड उसकी सेना पर टूट पड़ा. सेना में भगदड़ मच गयी. लेकिन दुर्दांत औरंगजेब इतनी जल्दी कहाँ हार मानने वाला था. वो लगातार इस मंदिर आक्रमण पर आक्रमण करवाता रहा और हर बार उसकी मदांध सेना मधुमक्खियों से मात खाकर भागती रही. पांच छः आक्रमणों के बाद अंततः औरंगजेब और उसकी सेना ने इस मंदिर को तोड़ने का विचार त्याग कर चला गया. फिर लौटने का साहस न जुटा सका.
मिलती है रोगों से मुक्ति:
भक्तों सोमश्वर महादेव मंदिर के बारे में लोगों की मान्यता है कि चंद्रदेव द्वारा स्थापित इस मंदिर में सच्चे मन से की गई पूजा व्यर्थ नहीं जाती और गंभीर से गंभीर रोगों से ग्रस्त लोगों को भी अपना रोग ठीक होने का आभास होने लगता है. वैसे तो यहां पूरे साल देश के कोने कोने से श्रद्धालु पूजन अर्चन के लिए आते हैं, लेकिन कुंभ और माघ के मेले में तो यहां तिल रखने तक की जगह नहीं होती.
मंदिर परिसर:
भक्तों सोमेश्वर महादेव मंदिर परिसर में सोमेश्वर महादेव, द्वादश ज्योतिर्लिंग के अलावा गर्भगृह के गलियारे में कुछ अन्य शिवलिंगों सहित देवी देवताओं की 44 मूर्तियाँ स्थापित हैं. मंदिर परिसर में एक छोटा स मंदिर है जिसमे भगवान् गणेश और माता लक्ष्मी जी की मूर्तियाँ प्रतिष्ठित हैं.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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