Guru Ravi Dass live Shobha Yatra Pathankot Punjab 2025
Автор: tour trovel
Загружено: 2025-02-10
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*संत गुरु रविदास जी का जीवन परिचय*
**नाम**: गुरु रविदास
**जन्म**: 1398 ईस्वी (अनुमानित)
**जन्म स्थान**: सीर गोवर्धनपुर, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
**पिता**: संतोख दास
**माता**: कर्मा देवी
**धर्म**: भक्ति मार्ग (निर्गुण संत परंपरा)
**मुख्य उपदेश**: जाति-पाति का विरोध, प्रेम, समानता और भक्ति
**निधन**: 1540 ईस्वी (अनुमानित)
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*गुरु रविदास जी का जीवन*
गुरु रविदास 15वीं-16वीं शताब्दी के महान संत, कवि और समाज सुधारक थे। उनका जन्म वाराणसी में एक चर्मकार (चमड़े का काम करने वाले) परिवार में हुआ था। उनका जीवन भक्ति, प्रेम और समानता के संदेशों से भरा था।
बाल्यकाल से ही वे आध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे और समाज में फैली ऊँच-नीच, छुआछूत और भेदभाव की निंदा करते थे। उन्होंने अपने विचारों और रचनाओं के माध्यम से समाज को नई दिशा देने का कार्य किया।
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*गुरु रविदास के विचार और उपदेश*
1. *सभी मनुष्यों की समानता* – उन्होंने कहा कि ईश्वर की नज़र में सभी समान हैं, कोई छोटा-बड़ा नहीं है।
2. *जाति प्रथा का विरोध* – वे जातिवाद और छुआछूत के कट्टर विरोधी थे।
3. *सत्य, प्रेम और भक्ति का संदेश* – उन्होंने प्रेम और भक्ति को मोक्ष का मार्ग बताया।
4. *निर्गुण भक्ति मार्ग* – वे निर्गुण भक्ति धारा के संत थे और मूर्तिपूजा का विरोध करते थे।
5. *सत्संग और साधना का महत्व* – उन्होंने साधना और ईश्वर के सुमिरन पर जोर दिया।
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*गुरु रविदास की रचनाएँ*
गुरु रविदास ने कई भक्ति पद और दोहे लिखे, जो "गुरु ग्रंथ साहिब" में भी शामिल किए गए हैं। उनके कुछ प्रसिद्ध दोहे निम्नलिखित हैं:
**1. जाति-जाति में जाति है, जो केतन के पात।
रैदास मनुष ना जुड़ सके, जब तक जाति न जात।।**
**2. ऐसा चाहूँ राज मैं, जहाँ मिले सबन को अन्न।
छोट-बड़े सब संग बसे, रैदास रहे प्रसन्न।।**
इस दोहे में उन्होंने समानता और समरसता वाले समाज की कल्पना की है।
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*गुरु रविदास जी की भक्ति और प्रभाव*
गुरु रविदास जी की भक्ति और उपदेशों ने कई राजाओं और रानियों को प्रभावित किया। कहा जाता है कि रानी मीराबाई भी उनकी शिष्या थीं और उन्हें गुरु मानती थीं।
उनके अनुयायी "रविदासिया" कहलाते हैं, और आज भी उनकी शिक्षाएँ लाखों लोगों को प्रेरित करती हैं।
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*गुरु रविदास जी की मृत्यु*
गुरु रविदास जी ने 1540 ईस्वी के आसपास इस दुनिया को त्याग दिया। उनकी समाधि वाराणसी और पंजाब के कई स्थानों पर मानी जाती है।
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*निष्कर्ष*
गुरु रविदास जी ने अपने जीवन के माध्यम से समाज को समानता, प्रेम और भक्ति का मार्ग दिखाया। उनका संदेश आज भी प्रासंगिक है और लोगों को प्रेरणा देता है। उनकी शिक्षाएँ बताती हैं कि ईश्वर के दरबार में सभी समान हैं और मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं।
🙏 *"जय गुरु देव"* 🙏
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