मन फूला-फूला फिरे | Mann fula fula firey | Kabir Bhajan | Kabir Ke Dohe| Bhakti Song Hindi
Автор: कहत कबीर
Загружено: 2025-09-10
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मन फूला-फूला फिरे जगत में कैसा नाता रे...
यह संत कबीर दास जी की अमृत वाणी पर आधारित भजन है। इसमें इंसान को चेतावनी दी गई है कि इस जगत में जो रिश्ते, धन-दौलत और मान-सम्मान है, वह सब अस्थायी है।
भावार्थ:
इस भजन में कबीर साहब कहते हैं कि इंसान का मन फूलकर अहंकार और मोह-माया में उलझा रहता है। वह सोचता है कि धन, दौलत, परिवार और रिश्ते सदा उसके साथ रहेंगे। लेकिन सच्चाई यह है कि मृत्यु के समय ये सब कुछ यहीं छूट जाएगा।
*“मन फूला-फूला फिरे”* का अर्थ है → इंसान घमंड और दिखावे में जी रहा है।
*“जगत में कैसा नाता”* का अर्थ है → इस दुनिया के रिश्ते नाते असली नहीं, ये सब अस्थायी हैं।
कबीर जी सिखाते हैं कि असली नाता केवल परमात्मा से है। बाकी सब मोह-माया है।
👉 यह भजन हमें जागने और समझने की प्रेरणा देता है कि समय रहते ईश्वर के नाम का स्मरण करो। वही असली सहारा है, बाकी सब अस्थायी है।
🎶 भजन: मन फूला-फूला फिरे
🪔 संत: कबीर दास जी
✨ संदेश: मोह-माया छोड़ो और नाम जपो
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