चिरजा श्री सुवा बाईसा री !! रचना व स्वर:-सांवल दान देपावत !! (पप्पू दान)देशनोक !!
Автор: Sanwal dan depawat Pappu dan charan
Загружено: 2025-11-13
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चिरजा:-(००४) सूवा बाईसा जुडिये (238)
दोहा:-
सिर पर साफो सोवणो, आ पगड़ी है खास।
सुवा रो सरणो लियो, आई पुरेला आस।।
सुवा बाईसा आविया, ऊबा आदर जोग।
निरखे जन समदाय ने, काटे तन रा रोग।।
सैणल मॉं सुख कारिणी, सुवा सगत सुखदाय ।
जुडिये आवत जातरी, दुख दारिद मिट जाय ।।
सांवळ री है वीनती, सुणजो मात जरूर ।
सैणल मॉं संकट हरो, दुख दारिद कर दूर ।।
सोरठा:-
जुडियो जबरो जाण, दरसण सूं दुआ मिले ।
भलोज ऊगत भाण, स्नेहिल छाया सगत री।।
महिपर आया मात, पात काज परमेश्वरी ।
राखो सिरपर हाथ, सूवा मॉं संकट हरो ।।
तर्ज-(मांड राग)
श्री सूवा बाईसा जुडिये तपण ने आया।
करे बालकिया पे छतर छाया।।टेर।।----
जुडियो धाम सुरग से सोणो
लागे मोय सवाया।
पग धरता जिण पेड्यां रे ऊपर,
मात करे है सहाया।।१।।----
सज सिणगार आसन ढ़ाळे,
मात तपे महमाया।
जोत जगावे इष्ट ने ध्यावे,
रोम-रोम हरखाया।।२।।----
हाथ खड़ग त्रिशूल सुहावे,
सिरपर छत्र सवाया।
भगतां री मॉं लाज रखावे,
सिंह सजे सुरराया।।३।।----
सांवल दान बळबुद्धी हीणो,
लाज राखो महमाया।
महिमा थारी है हदभारी,
राखो पलकां री छायां।।४।।----
श्री सूवा बाईसा जुडिये तपण ने आया।
करे छोरूड़ा पर छतर छाया।।----
कृत:- सांवल दान देपावत (पप्पू दान)
देशनोक🙏🚩🚩
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