Namotthunam path || नमोत्थुणं पाठ || Namotthunam Arihantanam Bhagwantanam || By Hemlata Lalani
Автор: Thinkin' Music
Загружено: 2022-11-13
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The stotra which desribes the characteristics of 24 jain tirthankars.
पाठ का हिन्दी में अर्थ : -
मेरा नमस्कार हो अर्हत्, भगवान, धर्म के आदिकर्ता, तीर्थंकर, स्वयं सम्बुद्ध, पुरुषोत्तम, पुरुषसिंह, पुरुषों में प्रवर पुंडरीक, पुरुषों में प्रवर गंधहस्ती, लोकोत्तम, लोकनाथ, लोकहितकारी, लोकप्रदीप, लोक में उद्योत करने वाले, अभयदाता, चक्षुर्दाता, मार्गदाता, शरणदाता, जीवनदाता, बोधिदाता, धर्मदाता, धर्मोपदेष्टा, धर्मनायक, धर्म सारथि, धर्म के प्रवर चतुर्दिक्जयी चक्रवर्ती को। जो द्वीप हैं, प्राण हैं, शरण, गति और प्रतिष्ठा हैं। अबाधित प्रवर ज्ञान- दर्शन के धारक, आवरण रहित, ज्ञाता और ज्ञान देने वाले को, तीर्ण और तारक को, बुद्ध और बोधिदाता को, मुक्त और मुक्तिदाता को, सर्वज्ञ और सर्वदर्शी को, कल्याणकारी, अचल, अरुज, अनंत, अक्षय, अव्याबाध, पुनरावृति से रहित, सिद्धि गति नामक स्थान को सम्प्राप्त ( संप्राप्त करने वाले ) उन जिनेश्वरों भयविजेताओं को नमस्कार हो।
स्वर व धुन : हेमलता लालाणी
णमोत्थुणं को तीर्थंकरों की देवों द्वारा स्तुति का विशिष्ट निर्मल सूत्र माना जाता है। इसकी आराधना की भक्ति के बल से दृढ़विश्वास युक्त प्रसन्नचित व ऊर्ध्वगामी चेतन को जागृत व प्राप्त किया जा सकता है। माना जाता है की सूत्र के ध्यान से मोक्ष प्राप्ति व समस्याओं के निवारण का उत्कृष्ट मार्ग स्वतः खुल जाता है।
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