देवउठनी एकादशी व्रत कथा l Kartik maas ekadashi vart katha
Автор: Siya Bhakti
Загружено: 2025-11-01
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देवउठनी एकादशी व्रत कथा l Kartik maas ekadashi vart katha
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🌸 देवउठनी एकादशी व्रत कथा व विवरण (Dev Uthani Ekadashi Vrat Katha in Hindi) 🌸
देवउठनी एकादशी, जिसे प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु चार महीने के योग निद्रा (शयन) से जागृत होते हैं। इसीलिए इसे “देव उठनी” या “देव जागरण” एकादशी कहा जाता है।
🌺 व्रत कथा :
एक समय नारद मुनि ने भगवान विष्णु से पूछा – “हे प्रभु! आप चार महीने तक सोते हैं, इसका क्या कारण है?”
भगवान विष्णु ने कहा – “हे नारद! जब सूर्य दक्षिणायन होता है तब मैं योग निद्रा में चला जाता हूँ और जब सूर्य उत्तरायण होता है तब जागता हूँ। इस अवधि में मनुष्य को विवाह, गृह निर्माण आदि शुभ कार्य नहीं करने चाहिए।”
जब कार्तिक शुक्ल एकादशी आती है, उस दिन ब्रह्मा, विष्णु, महेश, लक्ष्मीजी और सभी देवता जागृत होते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा होती है। भक्त तुलसी विवाह और दीपदान का आयोजन करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु के जागरण से समस्त ब्रह्मांड में पुनः शुभ कार्यों का आरंभ होता है।
🪔 पूजा विधि :
प्रातः स्नान कर भगवान विष्णु का संकल्प लें।
शंख, चक्र, गदा, पद्मधारी श्री विष्णु की मूर्ति या तस्वीर पर फूल, तुलसी दल और दीप अर्पित करें।
भगवान को तुलसी पत्र और पंचामृत से स्नान कराएँ।
कथा सुनें या पढ़ें, फिर भगवान विष्णु के नाम का जाप करें — “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”।
रात्रि में दीपदान करें और संभव हो तो जागरण करें।
🌿 महत्त्व :
इस दिन चतुर्मास समाप्त होता है।
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