Ekadashi Vrat Katha l एकादशी व्रत कथा l Mokshada Ekadashi Vart Katha 2025 l मोक्षदा एकादशी व्रत कथा
Автор: Siya Bhakti
Загружено: 2025-12-01
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Ekadashi Vrat Katha l एकादशी व्रत कथा l Mokshada Ekadashi Vart Katha 2025 l मोक्षदा एकादशी व्रत कथा
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मोक्षदा एकादशी मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। यह एकादशी भगवान श्रीकृष्ण को अत्यन्त प्रिय है और ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को श्रद्धा से करने पर न केवल साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है बल्कि उसके पितरों को भी स्वर्गलोक की प्राप्ति का मार्ग मिलता है।
✨ मोक्षदा एकादशी का महत्व
यह एकादशी पापों का नाश करने वाली और मोक्ष प्रदान करने वाली मानी जाती है।
इस दिन भगवान श्री विष्णु की पूजा, व्रत और उपवास का विशेष फल मिलता है।
इस व्रत को करने वाले व्यक्ति के पितरों को भी मुक्ति प्राप्त होती है।
📜 मोक्षदा एकादशी व्रत कथा
प्राचीन काल में चंपक नगर नाम का एक राज्य था, जहाँ वैखानस नाम के पवित्र और धर्मप्रिय राजा राज करते थे। राजा न्यायप्रिय, दयालु और धर्म का पालन करने वाले थे। प्रजा उनकी बहुत सम्मान करती थी।
एक रात राजा ने स्वप्न में देखा कि उनके पिता नरक में कष्ट सह रहे हैं। पिता रोते हुए कह रहे थे—
“हे पुत्र! मेरे पापों के कारण मैं इस भयंकर यातना को भोग रहा हूँ, मेरी मदद करो।”
स्वप्न देखकर राजा अत्यंत दुखी हुए। उन्होंने ऋषियों से समाधान पूछा। ऋषियों ने कहा—
“हे राजन! इस दुःख का निवारण भगवान विष्णु ही बता सकते हैं। आप उनके परम भक्त पर्वत पर खड़े परमहंस ऋषि पर्वत मुनि के पास जाएँ।”
राजा उनके आश्रम पहुँचे और अपने पिता की दशा बताई। तब पर्वत मुनि ध्यान में बैठे और दिव्य दृष्टि से सत्य का ज्ञान किया। उन्होंने बताया—
“हे राजन! आपके पिता ने पिछले जन्म में कुछ गलती की थी, जिसका फल उन्हें अभी भोगना पड़ रहा है। इस कष्ट से मुक्ति का एक ही उपाय है —
आप मोक्षदा एकादशी का व्रत करें। इस व्रत का पूरा पुण्य अपने पिता को अर्पित करें।”
राजा ने वैसा ही किया। एकादशी के दिन उन्होंने नियमपूर्वक व्रत, पूजा, दान किया और पूरे पुण्य को अपने पिता को समर्पित किया।
व्रत का फल लगते ही उनके पिता नरक से मुक्त होकर स्वर्गलोक में चले गए। राजा के भी सभी कष्ट दूर हो गए।
इसी दिन से यह एकादशी “मोक्षदा एकादशी” कहलाने लगी।
🙏 मोक्षदा एकादशी की पूजा विधि (संक्षिप्त)
प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
भगवान विष्णु (विशेषकर श्री कृष्ण) का धूप, दीप, पुष्प, तुलसी से पूजन करें।
“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
दिनभर व्रत रखें (फलाहार कर सकते हैं)।
रात्रि जागरण एवं विष्णु सहस्रनाम का पाठ शुभ माना गया है।
अगले दिन द्वादशी को ब्राह्मण, गाय या जरूरतमंदों को भोजन व दान दें।
🌼 इस व्रत का फल
पापों का नाश होता है।
पितरों को मुक्ति मिलती है।
सुख, शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
जीवन में आने वाले संकट
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