कुरिन्थियों के नाम सन्त पौलुस का पहला पत्र || Chapter 6 || 1 Corinthians Audio Bible with the Text
Автор: Greater Glory of God
Загружено: 2025-11-17
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1 कुरिन्थियों अध्याय 6 संत पौलुस की अत्यंत महत्वपूर्ण शिक्षा है जिसमें वे
विश्वासियों के आचरण, पवित्रता, और शरीर की गरिमा पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
इस अध्याय में पौलुस सिखाते हैं कि—
✔ ईसाइयों को अपने विवाद गैर-विश्वासियों के सामने नहीं ले जाने चाहिए
✔ संतों को न्याय करने की बुद्धि दी गई है
✔ अनैतिकता ईश्वर के राज्य से दूर कर देती है
✔ हमारा शरीर पाप का साधन नहीं बल्कि ईश्वर का मंदिर है
✔ येसु मसीह ने हमें मूल्य चुकाकर खरीदा है—इसलिए
“अपने शरीर से ईश्वर की महिमा करो”
पौलुस बहुत स्पष्ट रूप से बताते हैं कि
ईश्वर की कृपा ने हमें धोया, पवित्र किया, और धर्मी ठहराया है,
इसीलिए हमारा जीवन भी उसी पवित्रता को प्रतिबिंबित करे।
✨ इस वीडियो में आपको मिलेगा:
🔹 1 कुरिन्थियों 6 का आसान हिंदी सार
🔹 संत पौलुस की शिक्षा — ईसाइयों का आचरण कैसा हो
🔹 “शरीर परमेश्वर का मंदिर” का गहरा अर्थ
🔹 CCC आधारित चिंतन (विशेषतः शरीर, पवित्रता, यौन नैतिकता, न्याय, समुदाय)
🔹 आज के जीवन में इसके व्यावहारिक प्रयोग
🔹 मनन, प्रार्थना और आत्म-परीक्षण के प्रश्न
✝️ मुख्य पद (Key Verse)
“क्या आप नहीं जानते कि आपका शरीर पवित्र आत्मा का मंदिर है,
जो आप में निवास करता है और जो आपको ईश्वर की ओर से मिला है?”
(1 कुरिन्थियों 6:19)
🙏 इस अध्याय का मुख्य संदेश:
ईसाई स्वतंत्रता का अर्थ मनमानी नहीं—
बल्कि ईश्वर की महिमा के लिए पवित्र जीवन जीना है।
हमारे शरीर, हमारे निर्णय, और हमारे संबंध—
सब ईश्वर की उपस्थिति को प्रकट करने के लिए हैं।
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