Jagadguru Rambhadracharya - Manas Stutis 07 - Jaya Rama Sada Sukhadhama Hare
Автор: Jagadguru Rambhadracharaya ji
Загружено: 2013-01-23
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Stuti 7 from the album Sriramcharitmanas Ki Stutiyan Part 1.
Lyrics: Goswami Tulsidas
Music: Jagadguru Rambhadracharya
Voice: Jagadguru Rambhadracharya
जय राम सदा सुख धाम हरे । रघुनायक सायक चाप धरे ॥
भव बारन दारन सिंह प्रभो । गुन सागर नागर नाथ बिभो ॥ ६-१११-१ ॥
तन काम अनेक अनूप छबी । गुन गावत सिद्ध मुनींद्र कबी ॥
जस पावन रावन नाग महा । खगनाथ जथा करि कोप गहा ॥ ६-१११-२ ॥
जन रंजन भंजन सोक भयम् । गत क्रोध सदा प्रभु बोधमयम् ॥
अवतार उदार अपार गुनम् । महि भार बिभंजन ग्यानघनम् ॥ ६-१११-३ ॥
अज ब्यापकमेकमनादि सदा । करुनाकर राम नमामि मुदा ॥
रघुबंश बिभूषन दूषनहा । कृत भूप बिभीषन दीन रहा ॥ ६-१११-४ ॥
गुन ध्यान निधान अमान अजम् । नित राम नमामि बिभुं बिरजम् ॥
भुजदंड प्रचंड प्रताप बलम् । खल बृंद निकंद महा कुसलम् ॥ ६-१११-५ ॥
बिनु कारन दीन दयाल हितम् । छबि धाम नमामि रमा सहितम् ॥
भव तारन कारन काज परम् । मन संभव दारुन दोष हरम् ॥ ६-१११-६ ॥
शर चाप मनोहर तून धरम् । जलजारुन लोचन भूपबरम् ॥
सुख मंदिर सुंदर श्रीरमनम् । मद मार मुधा ममता शमनम् ॥ ६-१११-७ ॥
अनवद्य अखंड न गोचर गो । सब रूप सदा सब होइ न सो ॥
इति बेद बदंति न दंतकथा । रबि आतप भिन्नमभिन्न जथा ॥ ६-१११-८ ॥
कृतकृत्य बिभो सब बानर ए । निरखंति तनानन सादर जे ॥
धिग जीवन देव सरीर हरे । तव भक्ति बिना भव भूलि परे ॥ ६-१११-९ ॥
अब दीनदयाल दया करिये । मति मोरि बिभेदकरी हरिये ॥
जेहि ते बिपरीत क्रिया करिये । दुख सो सुख मानि सुखी चरिये ॥ ६-१११-१० ॥
खल खंडन मंडन रम्य छमा। पद पंकज सेवित शंभु उमा ॥
नृप नायक दे बरदानमिदम् । चरनांबुज प्रेम सदा सुभदम् ॥ ६-१११-११ ॥
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