"बुद्ध और आत्मा का भ्रम: पोट्ठपाद सुत्त"
Автор: Jitendra Singh Jat 3.3M
Загружено: 2025-12-16
Просмотров: 2514
"बुद्ध और आत्मा का भ्रम: पोट्ठपाद सुत्त"
नमो बुद्धाय।
आज के इस विशेष सत्र में हम दीघ निकाय (Digha Nikaya) के अत्यंत महत्वपूर्ण और दार्शनिक सुत्त, 'पोट्ठपाद सुत्त' (Potthapada Sutta) की गहराई में उतरेंगे। यह सुत्त भगवान बुद्ध और परिव्राजक पोट्ठपाद के बीच हुए उस ऐतिहासिक संवाद पर आधारित है, जिसमें चेतना (Consciousness) और आत्मा (Soul) के अस्तित्व पर गंभीर चर्चा की गई है।
इस ऑडियो में आप जानेंगे:
संज्ञा (Perception) क्या है? क्या यह अचानक पैदा होती है या इसके पीछे कोई विज्ञान है?
आत्मा का भ्रम: बुद्ध ने आत्मा की तीन प्रचलित धारणाओं (स्थूल, मनोमय, और अरूप) का खंडन कैसे किया?
दूध और घी का उदाहरण: कैसे हमारी पहचान बदलती रहती है और कुछ भी स्थायी नहीं है।
अव्याकृत प्रश्न: बुद्ध ने संसार के अंत और मृत्यु के बाद के जीवन जैसे 10 सवालों पर चुप्पी क्यों साधी?
मानसिक प्रशिक्षण: कैसे ध्यान के माध्यम से हम अपनी उच्च चेतना (Higher States of Consciousness) को प्राप्त कर सकते हैं।
यह सुत्त हमें सिखाता है कि हम व्यर्थ की बौद्धिक बहसों में न उलझकर, अपने वर्तमान दुःख को समझने और उससे मुक्त होने का प्रयास करें।
समय सारणी (Timestamps):
00:00 - परिचय (Introduction)
02:00 - पोट्ठपाद और बुद्ध की भेंट
05:00 - संज्ञा (Perception) कैसे उत्पन्न होती है?
10:00 - क्या आत्मा और चेतना एक ही हैं? (विस्तृत विश्लेषण)
15:00 - दूध, दही और मक्खन का अद्भुत उदाहरण
20:00 - बुद्ध के 'अव्याकृत' (मौन) रहने का कारण
23:00 - निष्कर्ष और जीवन में सीख
कीवर्ड्स (Keywords): #Buddha #Dhamma #DighaNikaya #PotthapadaSutta #BuddhismInHindi #Spirituality #Meditation #SelfDiscovery #PaliCanon #Mindfulness #HindiPodcast
By: Jitendra Singh Jat
[email protected]
Доступные форматы для скачивания:
Скачать видео mp4
-
Информация по загрузке: