पत्रकार पर हमले के बाद अब छवि धूमिल करने की साजिश- क्या यही है न्याय?
Автор: Ajay Nageshwar
Загружено: 2025-04-17
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पत्रकार पर हमले के बाद अब छवि धूमिल करने की साजिश- क्या यही है न्याय? #crimenews #milindthakre
आज हम बात करने जा रहे हैं एक ऐसे मुद्दे पर जिसने बालाघाट में सनसनी फैला दी है।
7 अप्रैल को पत्रकार मिलिंद ठाकरे पर सरेआम जानलेवा हमला हुआ। इस मामले में पुलिस ने जहां चार लोगों की गिरफ्तारी की है, वहीं प्रेस कॉन्फ्रेंस में एसपी नागेन्द्र सिंह ने कई चौंकाने वाले दावे किए हैं—जिनमें खुद मिलिंद ठाकरे पर भी गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
लेकिन दूसरी ओर मिलिंद ठाकरे ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए पुलिस प्रशासन पर बिना तथ्यों के बयान देने का आरोप लगाया है। मैं खुद मिलिंद ठाकरे जी से मिला कि आखिर उनकी सच्चाई क्या है, और इस हमले के पीछे की असल वजह क्या हो सकती है।
पत्रकार मिलिंद ठाकरे ने पुलिस प्रशासन का जताया आभार, साथ ही अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए किया न्याय की अपील🔹🔹🔹🔹
सोशल मीडिया और सार्वजनिक मंचों पर फैलाए जा रहे भ्रामक प्रचार पर गहरी आपत्ति जताई है
बालाघाट। गोंडवाना समय।
वरिष्ठ पत्रकार मिलिंद ठाकरे ने पुलिस प्रशासन का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन पर हुए हमले के मामले में पुलिस की तत्परता से अपराधी सलाखों के पीछे पहुंचे, जिसके लिए वे पुलिस अधीक्षक नागेन्द्र सिंह समेत संपूर्ण पुलिस विभाग के आभारी हैं। साथ ही उन्होंने अपनी कार्यप्रणाली को लेकर सोशल मीडिया और सार्वजनिक मंचों पर फैलाए जा रहे भ्रामक प्रचार पर गहरी आपत्ति जताई है। पत्रकार ठाकरे ने स्पष्ट किया कि वे वर्ष 2015 से सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, नई दिल्ली से पंजीकृत "राष्ट्रबाण" समाचार पत्र के प्रतिनिधि के रूप में बालाघाट में कार्यरत हैं। उन्होंने पुलिस अधीक्षक से अपील करते हुए कहा कि उनकी पत्रकारिता निष्पक्ष और समाज को दिशा देने वाली रही है, तथा उनके द्वारा प्रकाशित किसी भी समाचार में यदि कोई त्रुटि रही हो तो संबंधित पक्ष माननीय न्यायालय के माध्यम से वैधानिक कार्यवाही कर सकते थे।
मात्र 10 दिनों में सात झूठे प्रकरण दर्ज किए गए🔹🔹🔹🔹
उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व मंत्री और वर्तमान भाजपा जिलाध्यक्ष रामकिशोर नानू कावरे की कार्यप्रणाली को लेकर किए गए समाचार प्रकाशन के बाद उन्हें प्रताड़ित करने की नियत से मात्र 10 दिनों में सात झूठे प्रकरण दर्ज किए गए। ठाकरे ने कहा कि इन मामलों में न तो उनके विरुद्ध कोई ऑडियो या वीडियो साक्ष्य है, न ही मोबाइल लोकेशन या कॉल डिटेल्स, जिससे उनकी संलिप्तता सिद्ध हो।
जिन व्यक्तियों के खिलाफ उन्होंने भ्रष्टाचार और अव्यवस्था को उजागर किया था, उन्हीं लोगों ने उनके खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज कराए हैं🔹🔹🔹🔹
पत्रकार ठाकरे ने आगे बताया कि इनमें से दो मामलों में वे न्यायालय से दोषमुक्त हो चुके हैं जबकि आठ अभी विचाराधीन हैं। उन्होंने कहा कि जिन व्यक्तियों के खिलाफ उन्होंने भ्रष्टाचार और अव्यवस्था को उजागर किया था, उन्हीं लोगों ने उनके खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज कराए हैं। ठाकरे ने उच्च न्यायालय, जबलपुर में रामकिशोर कावरे और उनके भाई राजकुमार कावरे के खिलाफ रिट याचिका भी दायर की है।
गंगवानी द्वारा मीडिया के समक्ष दिया गया बयान केवल उनकी छवि धूमिल करने के लिए कराया गया प्रतीत होता है🔹🔹🔹🔹
विशाल गंगवानी के मामले में ठाकरे ने बताया कि उनका इस व्यक्ति से कोई व्यक्तिगत या व्यावसायिक संबंध नहीं है। गंगवानी द्वारा मीडिया के समक्ष दिया गया बयान केवल उनकी छवि धूमिल करने के लिए कराया गया प्रतीत होता है। उन्होंने आरोप लगाया कि विशाल गंगवानी प्रशासनिक कार्रवाइयों और कई आर्थिक घोटालों में संलिप्त है। अंत में पत्रकार मिलिंद ठाकरे ने पुलिस अधीक्षक से आग्रह किया कि यदि भविष्य में कोई शिकायत उनके विरुद्ध आती है, तो उसकी निष्पक्ष और गहन जांच की जाए ताकि सच्चाई सामने आ सके। उन्होंने उम्मीद जताई कि पुलिस प्रशासन कानून और संविधान की मर्यादाओं का पालन करते हुए पत्रकारिता को दबाने के प्रयासों के विरुद्ध खड़ा रहेगा।
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