"श्रीहरिवंश नाम की महिमा: श्री सेवकवाणी (अष्टम प्रकरण - १३वाँ पद) | Shri Sewakwani Vyakhya"
Автор: Hitras sindhu
Загружено: 2025-12-18
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जय जय श्री हरिवंश!
आज की इस वीडियो में हम 'श्री सेवकवाणी' के आठवें प्रकरण के अंतिम (13वें) पद का अत्यंत भावपूर्ण और गहरा वर्णन करेंगे। इस पद में श्री सेवक जी महाराज ने श्री हरिवंश नाम की विलक्षण महिमा का गान किया है।
सर्वस्व श्रीहरिवंश: सेवक जी बताते हैं कि उनके प्राण, मन, चित्त, बुद्धि और वाणी—सब कुछ केवल श्री हरिवंश ही हैं।नाम की निरंतरता: श्री हरिवंश नाम का विस्मरण उन्हें एक क्षण के लिए भी नहीं होता।
सेवक जी ने श्री हरिवंश के बल पर शपथ क्यों ली? क्या यह अहंकार है या अनन्य प्रेम?
यह शपथ स्वयं श्री हित हरिवंश महाप्रभु की प्रेरणा से ली गई है ताकि साधारण जीव इस नाम की शक्ति पर विश्वास कर सकें।
यदि आप अपनी भक्ति यात्रा में 'नाम' के महत्व को समझना चाहते हैं, तो यह व्याख्या आपके हृदय को स्पर्श करेगी।
॥ जय जय श्री हरिवंश ॥
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