जो ज़ाहिर हो जाए वो दर्द कैसा | दर्द और खामोशी पर कविता | Hindi Poetry
Загружено: 2025-11-24
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“जो ज़ाहिर हो जाए वो दर्द कैसा… और जो खामोशी ना समझ पाए वो हमदर्द कैसा।”
यह कविता उन दिलों के लिए है जो चुप रहकर दर्द सहते हैं,
और उन लोगों के लिए जो बिना बोले भी सब समझ लेते हैं।
इस वीडियो में आपको मिलेगा:
✔️ दर्द और खामोशी पर दिल छू लेने वाली कविता
✔️ भावनाओं की गहराई से लिखी लाइने
✔️ Sad + Emotional + Reality Poetry
✔️ दिल को छू जाने वाला स्टाइल
अगर आपने कभी चुप रहकर दर्द सहा है,
या किसी ने आपकी खामोशी पढ़ ली है,
तो यह कविता आपके दिल में उतर जाएगी।
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