जब नौजवान बच्ची ने बाबा गुरबचन सिंह जी जी से पूछा पहनावे पर सवाल |
Автор: Thought Between the Lines
Загружено: 2025-08-23
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*कहानी का स्रोत:* यह कथा संत निरंकारी मिशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक जीवन्त शिक्षक से प्रेरित है।
🔗 पुस्तक पढ़ें: https://www.nirankari.org/publication...
इस वीडियो में एक सच्ची घटना दिखाई गई है जिसमें दिल्ली के दौलत राम कॉलेज की एक छात्रा ने बाबा जी से पहनावे और सत्संग के वातावरण पर सवाल पूछे।
लड़की ने साफ़ शब्दों में कहा कि – “अगर मैं अपनी मनपसंद ड्रेस पहनती हूँ तो किसी को क्या दिक्कत है?”
लेकिन बाबा जी ने बड़े ही सरल, प्रेमपूर्ण और मनोवैज्ञानिक अंदाज़ में उसे समझाया कि –
👉 हर माहौल का अपना एक महत्व और गरिमा होती है।
👉 जैसे घर, कॉलेज, शादी और शोक के अवसर पर हम अलग-अलग कपड़े पहनते हैं, वैसे ही सत्संग में भी पहनावे की सादगी वातावरण को और पवित्र बनाती है।
👉 यह किसी प्रण की अवज्ञा नहीं बल्कि वातावरण का आदर है।
इस शिक्षा ने उस नौजवान बच्ची की सोच बदल दी और उसने खुद कहा –
“Baba Ji you are really very great. From tomorrow onwards you will see a great change in me.”
यह कहानी हमें सिखाती है कि –
✅ सत्संग का वातावरण हमें आध्यात्मिक खुराक देता है।
✅ पहनावा हमारी सोच और सम्मान का प्रतीक है।
✅ सच्चा गुरुमुख हर प्रश्न का उत्तर प्रेम और विवेक से देता है।
✨ इस वीडियो को अंत तक ज़रूर देखें और इसे अपने दोस्तों व परिवार के साथ साझा करें।
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