मकर राशि का सबसे बड़ा शत्रु
Автор: Spirituality and Premonition by Vijaya Samal
Загружено: 2025-12-24
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मकर राशि का सबसे बड़ा शत्रु, जो दिखाई नहीं देता
मकर राशि का शत्रु कोई व्यक्ति नहीं होता।
न वह पड़ोसी है, न शत्रु ग्रह, न विरोधी रिश्तेदार। मकर का सबसे बड़ा शत्रु वह शक्ति है जो भीतर बैठी है, और जिसे दुनिया “गुण” समझ लेती है। यह शत्रु इतना शांत है कि कोई शक नहीं करता, इतना अनुशासित कि दोषी नहीं दिखता, इतना जिम्मेदार कि सबको अच्छा लगता है। लेकिन यही शक्ति, जब असंतुलित होती है, तो मकर को जीते-जी अकेला,, और अंदर-अंदर थका हुआ बना देती है। शत्रु कहाँ छिपा है?शत्रु हमेशा 6th हाउस में ही नहीं होता। कई बार असली शत्रु 12th house त्याग, क्षय, आत्म-विलोपन में बैठा होता है। मकर राशि के लिए यह शत्रु है, अत्यधिक कर्तव्यबोध Over-Responsibility Karma यदि शनि या उसका सब-लॉर्ड, 12th, 8th या 6th से जुड़ जाए तो व्यक्ति दूसरों के कर्म अपने सिर उठा लेता है। मकर कहता है,“अगर मैं नहीं करूंगा तो कौन करेगा?” यहीं से शत्रु जन्म लेता है। यह शत्रु क्यों दिखाई नहीं देता? क्योंकि यह शत्रु समाज द्वारा सम्मानित होता है। मेहनत = गुण, त्याग = महानता, चुप रहना = संस्कार, सह लेना = मजबूती, हर गुण जब सीमा पार करे, तो वही सबसे बड़ा शत्रु बन जाता है। मकर का शत्रु तलवार नहीं उठाता,वह जिम्मेदारी की फाइल थमा देता है।मेटाफ़िज़िकल दृष्टि आत्मा पर लगा पुराना कर्म, मकर आत्माएँ अक्सर पुराने जन्मों की कर्ज़दार आत्माएँ होती हैं। इनका कर्म-पैटर्न होता है,परिवार संभालना, वंश को बचाना, टूटते सिस्टम को थामना, इसलिए इस जन्म में भी:, वही अकेले खड़े होते हैं, वही चुपचाप बोझ उठाते हैं, वही सबसे पहले त्याग करते हैं, लेकिन समस्या यह है, आत्मा को आराम का अधिकार देना मकर भूल जाता है। यही अदृश्य शत्रु है।सबसे खतरनाक रूप, आत्म-दमन मकर रोता नहीं, मकर शिकायत नहीं करता, मकर टूटता नहीं दिखता। लेकिन, जो भाव व्यक्त नहीं होते, वे रोग बनते हैं। मकर का अदृश्य शत्रु, अपनी इच्छा को दबाना, अपनी थकान को नकारना, अपनी ज़रूरतों को “फालतू” मानना, यही कारण है कि मकर,सब कुछ होते हुए भी खाली लगता है, भीड़ में भी अकेला रहता है, सम्मान पाता है, पर स्नेह नहीं,क्यों मकर को धोखा सबसे ज़्यादा लगता है? क्योंकि मकर अति-निष्ठा करता है। जब शनि 7th या 11th से जुड़ता है, तो व्यक्ति दूसरों को वही ईमानदारी देता है जो वह खुद से भी ज़्यादा रखता है। लेकिन दुनिया वैसी नहीं होती। और मकर यह मानने को तैयार नहीं होता कि, सब लोग मेरे जैसे नहीं हैं।” यही भोली-सी सख़्ती,मकर को अंदर से चोट पहुँचाती है। ग्रह नहीं, पैटर्न शत्रु है,बहुत लोग पूछते हैं, मकर का शत्रु कौन सा ग्रह है? उत्तर है, कोई नहीं। शनि शत्रु नहीं है, वह तो शिक्षक है।,असली शत्रु है,शनि का असंतुलित पालन, कर्तव्य को धर्म समझ लेना,त्याग को भाग्य मान लेना, कब यह शत्रु कमजोर पड़ता है? जब मकर यह सीख लेता है कि, हर जिम्मेदारी मेरी नहीं,हर चुप्पी समझदारी नहीं,हर त्याग पुण्य नहीं,खुद को बचाना भी धर्म है जैसे ही मकर, सीमाएँ बनाना सीखता है “ना” कहना सीखता है, भाव व्यक्त करता है, उसी क्षण अदृश्य शत्रु हारने लगता है। अंतिम सत्य, शत्रु बाहर नहीं, भीतर था, मकर राशि का सबसे बड़ा शत्रु, खुद को सबसे पीछे रखना। जब मकर खुद को महत्व देता है, तो दुनिया स्वतः सम्मान देती है। जब मकर खुद से न्याय करता है, तो कर्म भी न्याय करने लगते हैं। मकर राशि का सबसे बड़ा शत्रु, कोई व्यक्ति नहीं, कोई ग्रह नहीं, कोई षड्यंत्र नहीं।
वह है, असीम जिम्मेदारी, मौन त्याग और आत्म-अनदेखी।
जिस दिन मकर यह समझ लेता है, उसी दिन से उसका जीवन संघर्ष नहीं, साधना बन जाता है।
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